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कोरोना काल में इस दंपति ने उगा दी विभिन्न प्रकार की पैदावार, पढ़िये पूरी रिपोर्ट

पांवटा साहिब, (कमल सिंह कठैत)। कोरोनावायरस की वजह से जहां पूरी दुनिया खौफ में जी रही है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो किसी भी खतरे की परवाह किए बगैर अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए मेहनत मशक्कत करने से नहीं चूक रहे हैं और कड़ी कोशिशों के साथ सफलता भी प्राप्त कर रहे हैं।

हम बात कर रहे हैं एक ऐसी दंपति की जिन्होंने कोरोना काल में अपनी कोशिशों के बूते विभिन्न प्रकार की पैदावार उगाकर सभी का ध्यान आकर्षित किया है। उक्त दंपति ने अपने खेती के अनोखे अंदाज से महज अपने गांव को ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र को एक अलग पहचान दी है। आपको बता दें कि पांवटा साहिब के ग्राम कांशीपुर निवासी रंजीत सिंह और उनकी पत्नी जसविंदर कौर ने खेती के अनोखे अंदाज से क्षेत्र में काफी सुर्खियां बटोरी हैं।

जब ‘विनर टाइम्स’ के संवाददाता कमल सिंह कठैत ग्राम कांशीपुर पहुंचे तो उनके खेत-खलिहान देखकर हैरान रह गये। इतनी अच्छी फसल, सब्ज़ी और बेहतरीन फल देखकर वे एक बार को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं कर पाए। सच्चाई जानने के लिए उन्होंने इस गांव के लोगों से संपर्क किया।

जब उन्होंने ग्रामीणों से पूछा कि इस बेहतरीन फसल को पैदा करने वाले किसान कौन हैं, तो सामने नाम आया कांशीपुर निवासी रंजीत सिंह और उनकी पत्नी जसविंदर कौर का। जब हमारी रंजीत सिंह से मुलाक़ात हुई तो हमने उनसे पूछा कि आप अपने खेत में इतनी बेहतरीन पैदावार के लिए कौन सी खाद का इस्तेमाल करते हैं, तो उनका जवाब था कि यह काम मेरे अकेले का नहीं इसमें मेरी धर्मपत्नी जसविंदर कौर ने भी मेरा साथ दिया है।

उन्होंने बताया कि वे अपने खेत में ना तो यूरिया और ना ही गोबर की खाद का इस्तेमाल करते हैं, बल्कि इससे हटकर वे जीवामृत का प्रयोग करते हैं। पूछे जाने पर उन्होंने जीवामृत के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह देशी गाय के गोमूत्र, गोबर एवँ थोड़ी मात्रा में गुड़, बेसन व मिट्टी को एकत्र कर 500 लीटर के ड्रम में मिलाकर तैयार किया जाता है।

इनके खेत में उपजी गेंहू के दानें देखकर हम हैरान रह गए। जिसे इनके द्वारा 4000 रुपये क्विंटल के दाम पर बेचा जा रहा है। इनके द्वारा उगाई गई गेहूँ का स्टॉक पहले ही खत्म हो चुका है और फ़िलहाल थोड़ी ही गेहूं बची हुई है। उन्होंने बताया कि कमोबेश यही आलम सब्ज़ियों का भी है, जिन्हें उगने के साथ ही स्थानीय ग्रामीण खरीद ले जाते हैं।

यहाँ पर गुड, राजमा, नींबू का फल बैंगन, टमाटर एवँ कईं तरफ की सब्जियां जीवामृत के द्वारा तैयार की जाती हैं। इनसे प्रेरित होकर गाँव के अन्य लोग भी अब जीवामृत खाद का प्रयोग करने लगे हैं। आपको बता दें कि उक्त दंपती को हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल आचार्य देवव्रत के द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है, जो इस गाँव के लिये बड़े गर्व की बात है।

उन्होंने बताया कि वे शिमला के कुफरी में सुभाष पालेकर के नेतृत्व में खेती करने का प्रशिक्षण भी ले चुके हैं। उन्होंने अपनी भावी योजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वे पांवटा साहिब एवँ उसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर ग्रामीणों को यूरिया खाद के इस्तेमाल से बचने एवँ जीवामृत को प्रयोग करने के लिये जागरूक करेंगे।

इस सराहनीय कार्य के लिए रणजीत सिंह एवँ उनकी धर्मपत्नी जसविंदर कौर के हौंसले, समर्पण एवँ क्षेत्र के लिये कार्य करने के जज्बे को ‘विनर टाइम्स’ सलाम करता है।

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