बाबरी ढांचा केस में सीबीआई कोर्ट का फैसला: आडवाणी, जोशी, उमा सहित सभी आरोपी बरी
नई दिल्ली। अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में विशेष CBI अदालत में लंबे चले मुकद्दमें के बाद आज फैसला आ गया। आज सीबीआई की विशेष अदालत ने विवादित ढांचे को गिराए जाने को लेकर अपना अहम फैसला सुनाया है। करीब तीन दशक पुराने इस मामले में देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती जैसे कई बड़े नेता आरोपी थे। विशेष CBI अदालत ने मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।
सभी आरोपियों को बरी करते हुए कोर्ट ने अपनी राय में कहा है कि जो भी वहां लाखों कार सेवक इकट्ठा हुए थे वे वहां पर सुप्रीम कोर्ट के कार सेवा के आदेश के बाद इकट्ठा हुए थे। कोर्ट ने अपनी राय में कहा है कि ढांचे को गिराए जाने की कोई पूर्व नियोजित साजिश नहीं थी और वहां पर जो नेता इकट्ठा थे उन लोगों ने उस घटना को रोकने के लिए प्रयास किया था, कोर्ट ने अपनी राय में कहा कि सीबीआई ने जो पेपर की कटिंग दाखिल की है उसका कोई आधार नहीं था कि वे कहां से आई थीं।
कोर्ट ने टिप्पणी की है कि विश्व हिंदू परिषद या संघ परिवार का कोई योगदान नहीं था, कुछ आराजक तत्वों ने ढांचा गिराया था, 12 बजे तक स्थिति सामान्य थी, कुछ अराजक तत्वों ने अराजकता की। यानि कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जो भी भाजपा नेता वहां इकट्ठा हुए थे उन्होंने ढांचा गिराए जाने से रोकने का प्रयास किया था।
इस केस के फैसले को करीब चार हजार पेज में लिखा गया है। 28 साल चले इस मुकदमें में 351 गवाह पेश किए गए और क़रीब 600 दस्तावेज़ हुए। सीबीआई ने कुल 49 लोगों को आरोपी बनाया था, जिनमें 17 की मृत्यु हो चुकी है जबकि बाकि 32 के नाम मुकदमे में थे। अब वह सभी बरी हो गए हैं। कोर्ट ने माना कि यह घटना अचानक हुई थी, कोई पूर्व सुनियोजित साज़िश नहीं थी। आरोपियों के खिलाफ कोई मजबूत साक्ष्य नहीं था, जिससे वह दोष साबित होते हों।
मामले में CBI ने कोर्ट में कुल 49 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की थी जिसमें से 17 की मृत्यु हो चुकी है। इनमें शिवसेना सुप्रीमो बाला साहेब ठाकरे, विश्व हिंदु परिषद के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णुहरी डालमिया, मोरेश्वर सावें, महंत अवैद्यनाथ, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि, बैकुंठ लाल शर्मा, परमहंस रामचंद्र दास, डॉ. सतीश नागर, डीबी राय, रमेश प्रताप सिंह, हरगोविंद सिंह, लक्ष्मी नारायण दास, राम नारायण दास, विनोद कुमार और राजमाता सिंधिया हैं।
वहीं, जिन 32 लोगों के नाम अभी मुकदमे में थे, उनमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, महाराज स्वामी साक्षी, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धर्मेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर शामिल हैं।
बता दें कि अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को राम मंदिर आंदोलन से जुड़े कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद ढहा दी थी। इस आंदोलन का नेतृत्व करने वालों में वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी भी शामिल थे। इन दोनों को भी बाबरी विध्वंस मामले में आरोपी बनाया गया था। लेकिन, किसी के खिलाफ कोई खास ठोस सबूत नहीं मिले और कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया।