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जटिल रोगों से पीड़ित मरीजों के जीवन में नया सवेरा लाई आयुष्मान योजना

देहरादून। अटल आयुष्मान योजना के अतंर्गत उत्तराखंड में भी कई नौनिहालों को जीवनदान मिला है। सुखद यह है कि परिवार की आर्थिक तंगहाली के चलते दम तोड़ती लाडलों की जिंदगी फिर से चलने लगी है। लाभार्थियों ने इस कार्यकम को सरकार की कल्याणकारी योजना से ज्यादा भगवान के वरदान की तरह बताया है।

अल्मोड़ा जनपद के तरूला निवासी पूरण सिंह गांव में ही रहकर अपनी आजीविका चलाते हैं। जैसे तैसे चल रही हसंती खेलती उनकी जिंदगी में उस दिन भूचाल आ गया जब उन्हें पता चला कि उनका तीन वर्षीय बालक दिव्यांशू ब्लड कैंसर से पीड़ित है। पूरण कहते हैं कि गरीबी की हालत में बच्चे का इलाज दिन में तारे तोड़ने जैसा यानी असंभव था। पूरा परिवार उम्मीद छोड़ चुका था। आयुष्मान योजना से उनकी करीब 2 लाख से अधिक की मदद हुई और स्वामीराम हिमालयन अस्पताल से उसका उपचार हो गया है। दिव्यांशू के पूरे परिवार ने केंद्र व राज्य सरकार का तहेदिल से आभार जताया है।

जौनसार क्षेत्र की तहसील कालसी के टिमरी गांव निवासी बलवीर सिंह रावत का 13 वर्षीय पुत्र आयुष नेगी हड्डी के कैंसर से पीड़ित था। चिकित्सकों ने जांच के बाद जो स्थितियां बताई उससे मेहनत मजदूरी करने वाले बलवीर व उसके सभी परिजनों के सामने अंधेरा छा गया था। बलवीर के भाई पूरण सिंह ने बताया कि अटल आयुष्मान योजना से बच्चे के इलाज में डेढ लाख के रूपए की मदद हुई और केंसर जैसी भंयकर बीमारी से जूझ रहे आयुष की जिंदगी अब पटरी पर लौट गई है। उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का आभार जताया है।

मेहनत मजदूरी कर अपनी आजीविका चलाने वाले हरिद्वार निवासी नीतू की 4 वर्षीय बेटी पीहू एक नसों की भयंकर की बीमारी से पीड़ित थी। नीतू ने बच्ची के उपचार के लिए आयुष्मान योजना की प्रक्रिया शुरू की। महंत इंद्रेश अस्पताल में पीहू का उपचार हुआ और आयुष्मान योजना से करीब 3 लाख 85 हजार से अधिक का इसमें खर्चा आया। पीहू अब धीरे धीरे सामान्य हो रही है। कल्पनाओं से कहीं अधिक जाकर मिली मदद और बच्ची को जिंदगी लौटाने के लिए पीहू के पिता नीतू व पूरे परिवार ने आयुष्मान के योजनाओं का आभार जताया है।

जरूरतमंदों के लिए वरदान बनी अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना-

दो साल पहले की ही तो बात है, जब उपचार बेहद महंगा होने के कारण गरीब तबके के मरीज प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती होने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे। अब वो समय है कि बीमार होते ही गरीब पूरे अधिकार के साथ सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में अपना उपचार करवाता है, वो भी मुफ्त में। ऐसा संभव हो पाया है जनता को स्वास्थ्य सुरक्षा गारंटी देने वाली राज्य सरकार की अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना से। समाज के पिछड़े और असहाय तबके के लिए तो यह योजना वरदान साबित हुई है। उत्तराखण्ड में बीते दो साल की अवधि में 2 लाख से अधिक लोग इस योजना का लाभ उठा चुके हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेई की स्मृति में शुरू की गई इस योजना को आज दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ स्कीम माना जाता है। पूरे देश में 25 दिसंबर 2018 को इस योजना की जब शुरूआत हुई तो उत्तराखंड के गरीब तबके के करीब 5.25 लाख लोगों को इसमें शामिल किया गया लेकिन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस योजना की अहमियत को समझते हुए हर उत्तराखंडी को इसका लाभ देने का फैसला लिया। नतीजा, आज उत्तराखंड की समस्त जनता इस कल्याणकारी योजना से आच्छादित है। योजना के तहत राज्य व राज्य से बाहर के सरकारी या प्राइवेट अस्पतालों में कहीं भी लोग पांच लाख रूपए तक का अपना व परिजनों का निशुल्क इलाज करा सकते हैं। आज इस योजना में लोग कैंसर, हार्ट, गुर्दा रोग जैसी जटिल बीमारियों का मुफ्त इलाज करा रहे हैं।

उत्तराखण्ड समूचे भारतवर्ष में एकमात्र ऐसा राज्य है जो अपने प्रदेश के समस्त नागरिकों (लगभग 25 लाख परिवार) को ‘अटल आयुष्मान योजना’ के तहत स्वास्थ्य सुरक्षा की गारंटी दे रहा है। तमाम गंभीर रोगों से ग्रस्त लोगों को इस योजना के लाभ से नई जिंदगी मिली है। ऐसा कोई गांव, कस्बा या शहर नहीं जहां इस योजना का लाभान्वित व्यक्ति न मिले। योजना से मिली नई जिंदगी के बदले हजारों हाथ मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के लिए दुआ मांगने को उठते हैं। दो सालों में योजना की सफलता के आंकड़े खुद में बहुत कुछ बयां कर रहे हैं। इस अवधि में (बीते 21 दिसंबर 2020 तक) 2,24,661 मरीज इसमें अपना इलाज करा चुके हैं। उनके इलाज पर राज्य सरकार ने तकरीबन 230 करोड़ रूपए खर्च किए। इनमें जटिल रोगों मसलन कार्डिओलॉजी से संबंधित 4142 तो सीटीवीएस में 617, कैंसर के 14038, यूरोलॉजी के 4456 व बर्न से जुड़े 265 लोगों का इलाज इस योजना में हुआ है। वहीं, राज्य में अब तक 40 लाख से ज्यादा लोगों के गोल्डन कार्ड बनाए जा चुके हैं।

योजना के खास बिंदु –

-राज्य के लोगों को इस योजना में नेशनल पोर्टिबिलिटी की सुविधा दी गई है

-देश के 22 हजार से अधिक सूचीबद्ध अस्पतालों में राज्यवासियों को कैशलेस उपचार की सुविधा

-उत्तराखंड में 99 प्रतिशत लाभार्थियों के गोल्डन कार्ड आधार से लिंक कर दिए गए हैं

-योजना का लाभ लेने वाले कुल मरीजों की संख्या 2,24,661 है जबकि इनके इलाज पर लगभग 230 करोड़ रूपए व्यय किया गया

-प्रदेश की संपूर्ण आबादी को कैशलेस उपचार प्रदान करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य

-उपचार पर व्यय की धनराशिका सूचीबद्ध अस्पतालों को सात दिन में किया जा रहा है भुगतान।

राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं का हो रहा विस्तार

राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की सुधार की दिशा में राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है। राज्य में आपात स्थिति में गंभीर मरीजों को एयर एंबुलेंस की सुविधा प्रदान करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है। अब इमरजेंसी की स्थिति में मरीजों को तत्काल एयर लिफ्ट कर उन्हें बड़े अस्पतालों तक पहुंचाया जा रहा है। वहीं, राज्य में चिकित्सकों के कुल सृजित 2735 चिकित्सकों के सापेक्ष 2145 चिकित्सकों की तैनाती की जा चुकी है। पूर्व में यह संख्या 1081 थी। इसी तरह कोविड संक्रमण से निपटने के लिए राज्य सरकार ने 11 कोविड अस्पताल, 27 कोविड हेल्थ सेंटर व 422 कोविड केयर सेंटरों का निर्माण किया है। राज्य में संचालित 108 इमरजेंसी सेवा की सुदृढ़िकरण की दिशा में राज्य सरकार लगातार कदम उठा रही है। 108 सेवा के बेड़े में 139 एंबुलेंस व एक बोट एंबुलेंस शामिल की गई हैं। राज्य के पर्वतीय जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं के लिहाज से इस सेवा का अभूतपूर्व योगदान रहा है। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस योजना का विस्तार करते हुए अब देहरादून व हल्द्वानी के अलावा उधमसिंहनगर, हरिद्वार, नैनीताल, अल्मोड़ा व श्रीनगर बेस चिकित्सालय में भी यह सुविधा प्रारंभ की गई है। वर्तमान में प्रदेश के 44 ब्लड बैंकों को ई-रक्तकोश प्रणाली से जोड़ा गया है तो राज्य के दूरदराज के इलाकों तक मरीजों को टेली-मेडिसन के जरिए परामर्श दिया जा रहा है। कोरोना काल में ई-संजीवनी ओपीडी के माध्यम से लोगों को घर बैठे डाॅक्टर सेवा दे रहे हैं। ई-संजीवनी ओपीडी के लिए 239 डाॅक्टरों को उत्तरदायी बनाया गया है। वहीं, राज्य के समस्त कार्मिकों, पेंशनर्स एवं उनके परिवार के सदस्यों को उच्च स्तरीय सुविधा देने के लिए राज्य सरकार ने राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना प्रारंभ की है।

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