जेसीपी अध्यक्ष भावना पांडे ने किया निरंजनपुर सब्जीमंडी का भ्रमण, मौजूदा हालातों पर जताया रोष
देहरादून। जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केंद्रीय अध्यक्ष एवँ लोकप्रिय समाजसेवी भावना पांडे ने देहरादून की निरंजनपुर सब्ज़ी मंडी में भ्रमण कर वहाँ के मौजूदा हालातों का जायज़ा लिया। इस दौरान जो दृश्य उनकी नज़रों के सामने आए उस पर उन्होंने दुःख एवँ रोष जताया।
गौरतलब है कि पिछले काफी वर्षों से जनसेवा के कार्यों में सक्रिय रहीं भावना पांडे हमेशा ही आमजन से जुड़े ज्वलंत मुद्दों को उठाती रही हैं। इसी क्रम में उन्होंने हाल ही में देहरादून की निरंजनपुर सब्ज़ी मंडी का औचक भ्रमण कर वहां का निरीक्षण किया। साथ ही वहाँ के ताज़ा दृश्यों को अपने मोबाइल के कैमरे में भी क़ैद किया।
इस दौरान उन्होंने कईं सब्ज़ी विक्रेताओं एवँ सब्ज़ी के सप्लायरों से भी वार्ता की। उन्होंने बातचीत के दौरान पाया कि वहाँ लगभग सभी सब्ज़ियां उत्तराखंड के बाहरी राज्यों से लाकर बेची जा रही हैं। साथ ही अधिकतर सब्ज़ी विक्रेता भी बाहरी राज्यों से यहाँ आये हुए नज़र आये।
इस पूरे प्रकरण पर दुख एवँ रोष प्रकट करते हुए भावना पांडे ने सवाल खड़ा किया कि आखिर क्या वजह है जो बाहरी राज्यों जैसे महाराष्ट्र के नागपुर से टमाटर-प्याज़, हिमाचल प्रदेश से सेब और उत्तर प्रदेश के सहारनपुर आदि शहरों से अन्य सब्ज़ियां लाकर देहरादून में बेची जा रही हैं, जबकि उत्तराखंड में सब्जियों के उत्पादन की कोई कमी नहीं है।
उन्होंने उत्तराखंड सरकार की मंशा और नीतियों पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार के गलत निर्णयों की वजह से आज राज्य का काश्तकार भुखमरी के कगार पर खड़ा है। प्रदेश के किसानों की सब्जियां सड़कर खराब हो जाती हैं जबकि बाहरी राज्यों के किसानों को तरजीह दी जाती है।
उन्होंने कहा कि दरअसल सरकार के पास पहाड़ के गरीब किसानों के उत्थान के लिए कोई ठोस योजना ही नहीं है। प्रदेश के बागवानी विभाग में किसान हित की कोई योजना ही नहीं बनती है और जो बनती भी हैं तो वे या तो सिर्फ कागज़ों में ही सिमटकर रह जाती हैं या फिर ठंडे बस्ते में चली जाती हैं।
आपको बता दें कि जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केंद्रीय अध्यक्ष एवँ लोकप्रिय समाजसेवी भावना पांडे द्वारा बनाया गया यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। जिस पर भावना पांडे ने कहा कि वीडियो वायरल होने के बाद राज्य सरकार को अपनी किरकिरी होती नजर आने लगी। जिसके बाद आनन-फानन में उत्तराखंड सरकार ने सेब महोत्सव जैसे कार्यक्रम का आयोजन कर खानापूर्ति करने का प्रयास किया।
उन्होंने सरकार के कार्यों पर उंगली उठाते हुए प्रश्न किया कि यदि सरकार को पहाड़ के किसानों की इतनी ही परवाह है तो वो राज्य के गरीब किसानों के हितों के मद्देनजर ठोस योजनाओं को धरातल पर क्यों नहीं उतारती है? आखिर क्यों गरीब किसान को दो वक्त की रोटी के लिए मजबूर होकर सिसकना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सरकार मजबूर जनता को गुमराह करना बंद करे और इन बेचारों की सुध ले। अन्यथा खामियाजा भुगतने को तैयार रहे।