आखिर है क्या मोदी का मास्टरप्लान ?
इतिहास शायद ऐसे ही बनता है। ये साल 2017 है और भारतीय लोकतंत्र की जनसंख्या 130 करोड़लगभग हो चुकी है। 1947 मे भारत की सार्वभौमिकता को 300 वर्षाें के अंधेरे के बाद दुबारा रोशनी नसीब हुई थी। इस समय जब हम बात कर रहें हैं भारत में एक बहुमत प्राप्त सरकार है और इसके मुखिया हैं-ं नरेन्द्र दामोदरदास मोदी। भविष्य का रहस्य अंधेरे में है ओर इसलिए आज आम भारतीय जनमानस जिसे रोजाना के काम-ं धँधों से फुर्सत पाकर सोचने का कम ही मौका मिल पाता है, यह पूछ रहा है कि 21वीं सदी में नये सपने देखने वाले भारतवर्ष को वे मोदी किस दिशा की तरफ लेकर जा रहें हैं ?
आम चर्चा में लोगों का यही कहना है कि 70 के दशक के जे0पी आंदोलन के बाद अगर किसी नेता कहें, विचारधारा या सोच ने एक समान रूप से ‘सुनामी’ लहरो वाली लोकप्रियता हासिल की है,तो वह आज से ढ़ाई वर्ष पूर्व सत्ता में आई मोदी सरकार ने की है।आज मोदी का कद भारत के कई इतिहास पुरूषों की बराबरी करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यही बात उन्हें आज हर जगह आम चर्चा का प्रमुख बिंदु बन रहा है। इसके प्रभाव पार्टी सिद्धांत के अंत की तरफ इशारा करते दिख रहे हैं और एक और पक्ष की जिस पर हम आगे चर्चा करेंगें।
लुक-ंईस्ट पाॅलिसी, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया, गैस सब्सिडी, जनधन खाते, मन की बात, स्वच्छ भारत अभियान, ‘दिव्यांग’ प्रोत्साहन जैसी कई लोकलुभावन योजनाएँ एंव कार्यक्रम चलाकर मोदी सरकार में जनता में अपना एकछत्र प्रभुत्व स्थापित कर लिया है। यह कहना मुश्किल कै कि ये सब चीजें क्या भारत की जरूरत थीं या थोपी गईं,परन्तु जनता खुश तो सब खुश। अभी ‘इन्कम डिक्लेरेशन स्कीम’ और नोटबंदी के द्वारा उन्होंने अपनी कार्य-ंनीति को फिर आगे बढ़ाया है।कहने वालों का कहना है कि मोदी सरकार की यह चकाचैंध एक पूर्वप्रायोजित और अति कुशल निष्पादित मार्केटिंग स्ट्रेटेजी के तहत पैदा की जा रही है और भारत के सूदूरतम इलाकों तक ‘मेरा देश बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है’ का समाचार पहुँचाया जा रहा है।
यूपीए शासन की सारी कमियों को अपनी मज़बूती बनाकर मोदी अपना नाम अमरता की तरफ ले जाने को उत्सुक नज़र आते हैं। बिना किसी खास कोण से इन सब बातों को देखा जाए तो बातें जायज़ नज़र आती हैं।मनमोहन सिंह ने अपनी छवि एक दब्बू और मूक पीएम की बनाई। मोदी को आज लोग शेर प्रदर्शित करते हैं। मनमोहन सरकार को सोनिया गाँधी का गुलाम बताया गया। भाजपा में बाज सिर्फ मोदी नज़र आते हैं।मनमोहन सरकार ने सुस्त नौकरशाही की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। मोदी के आने के बाद खबरें हैं कि साउथ ब्लाॅक में रोज सुबह नौ बजे अफसर अपनी कुर्सी पर पहुँच जाते हैं।
मनमोहन सरकार के वक्त भी फेसबुक ,टिव्टर और अन्य सोश्ल मीडिया के सारे साधन थे। मोदी सरकार इन सब का पूरा इस्तेमाल करती है। जब मनमोहन बोलते थे तो बगल वालों को भी सुनने में मुश्किल होती थी।अब मोदी जब बोलते हैं तो पूरा देश ही नहीं परन्तु पूरी दुनिया सुनती है। भ्रष्टाचार और लालफीताशाही जैसे और पक्षों में भी मोदी सरकार ने मनमोहन सरकार की गलतियों से सीख ली हैं ऐसा प्रत्यक्ष प्रतीत होता है।
आज मोदी ने खुद को भारत का सबसे लोकप्रिय चेहरा बना दिया है। अब ये उनकी स्वंय की मेहनत है या बडा़े का आशीर्वाद ये तो वे ही जाने, हमें मतलब है भारत के भविष्य से। वर्तमान में समय में भाजपा भारत की सबसे बडी़ पार्टी है जिसके रेलमंत्री मात्र एक टवी्ट भर कर देने से बच्चे के दूध का इंतजाम करवा देते हैं और विदेश मंत्री को आॅनलाइन किडनी देने की पेशकश हो जाती है। बेशक मोदी सरकार आने के बाद सरकारी विज्ञापनों के बाजा़र में बेतहाशा उछाल आया है और केन्द्र सरकार के विज्ञापन विभाग की सक्रियता में बहुत तेजी आयी है परन्तु अगर जनता मोदी के साथ है तो फिर सब ओके हो जाता है।
मोदी जिस तरह से भाजपा को लीड कर रहें हैं उसे देखते हुए लगता है कि वे भाजपा को देश की अकेली पार्टी बनाना चाहते हैं। इस दिशा में उनके साथी अमित शाह जीतोड़ मेहनत में लगें हैं।भाजपा की कोशिश अब सिर्फ चुनाव जीतने तक ही सीमित नहीं दिख रही है। भाजपा अब उस स्थान को पाने कोशिश करती दिख रही है जो आम भारतीय के मन में आज़ादी की जंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली भारतीय नेशनल कांग्रेस के लिए है। अब क्योंकि भाजपा का सारा एजेंडा केन्द्र की मोदी सरकार के अनुसार चल रहा है तो उसे इस मायने में कार्य करने की पूरी छूट प्राप्त है। भाजपा की राजनीतिक रैलियों की सजावट, बनावट, भाषण, मंचन आदि सब कुछ सुनियोजित तरीके से संचालित हो रहा है जिससे एक और बिल्कुल नयी चीज़ निकल कर सामने आ रही है।
ये शायद भारत में पहली बार हो रहा है। एनडीए की रिकाॅडतोड़ सफलता के बाद भारत की एक राजीनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी एक राष्ट्रीय कंपनी में तब्दील होती जा रही है। जी हाँ।ऐसा शायद पहली बार हो रहा है कि हम एक राजनीतिक दल को एक कंपनी में तब्दील होता देख रहे हैं जहाँ भर्ती होने और काम करने की अपनी अलग आचार संहिता है और तो और एक अच्छा-ंखासा ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी। आजकल इस कंपनी की लोकप्रियता इतने चरम पर है कि बिना विज्ञापन के ही इससे जुड़ने वालों की लाइनें लगीं हुईं हैं। ऐसा स्वर्ण युग किसी-ंकिसी को ही नसीब हुआ करता है। भाजपा इस स्वर्ण युग का कैसा उपयोग करती है, यह देखना महत्वपूर्ण रहेगा।
और इस क्रांति के महानायक बन बैठे हैं मोदी। मोदी, जो कुछ गंदे दागों को पीछे छोड़कर सूरज का प्रताप हासिल करने की ओर घोड़े दौडा़ये हुए हैं। आखिर मोदी भारत को किस दिशा की ओर ले जा रहें हैं ? क्या मोदी इतिहास बनाने जा रहें हैं, या हम भारत के लोग ?
प्रस्तुति:- अभिषेक भट्ट