एलबेंडाजोल के खाने से 11 बच्चों की हालत बिगड़ी
रुड़की। राष्ट्रीय कृमि दिवस मौके पर रुड़की विकास खंड के धर्मपुर प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को दी जा रही एलबेंडाजोल (पेट के कीड़े मारने की दवा) के खाने से 11 बच्चों की हालत बिगड़ गयी। बच्चे बेहोश हो गये। इससे स्कूल प्रबंधन के हाथ-पांव फूल गये। ग्रामीणों ने स्कूल में हंगामा कर दिया। आनन-फानन सभी बच्चों को रुड़की सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया।
पूरे प्रदेश में बच्चों को एल्बेंडाजोल की दवा खाने को दी गई। रुड़की विकास खंड के राजकीय प्राथमिक विद्यालय धर्मपुर में दोपहर को मिड डे मील खिलाने के थोड़ी देर बाद बच्चों को यह खुराक दी गई। कुल 66 बच्चों को दवा दी गई।
देखते ही देखते नौ बच्चे उल्टी करने लगे और बेहोश होकर गिर गये। इससे स्कूल में अफरा-तफरी मच गई। शिक्षकों के हाथ-पांव फूल गये। मामले की जानकारी मिलने पर ग्रामीण स्कूल की ओर दौड़ पड़े और हंगामा शुरू कर दिया।
इसी बीच हेड मास्टर पूनम ने 108 आकस्मिक सेवा को इसकी जानकारी दी। इसके बाद इन बच्चों को सिविल अस्पताल रुड़की लाया गया। इमरजेंसी मेडिकल अफसर डॉ. पीके दुबे ने बताया कि अस्पताल में अंजलि 10 वर्ष निवासी कमलेपुर के अलावा धर्मपुर गांव की रिया 9 वर्ष, हिमांशु 9 वर्ष, वरुण 8, अभिषेक और वर्षा 9, साक्षी 7, विभा 10 और गायत्री 9 साल को भर्ती कराया गया।
इसमें से तीन बच्चों की हालत में करीब तीन घंटे बाद सुधार आ पाया। वहीं मामले की जानकारी मिलने पर रुड़की विकास खंड के बड़ी संख्या में शिक्षक एवं ग्रामीण सिविल अस्पताल पहुंच गये।
दो बच्चों की घर जाकर बिगड़ी तबीयत
धर्मपुर प्राथमिक विद्यालय के नौ बच्चों को तो रुड़की सिविल अस्पताल में लाया गया जबकि दो बच्चे सूरज और ब्रिजेश जैसे ही अपने घर पहुंचे तो घर जाते ही उनको उल्टी लगना शुरू हो गई। इसके साथ ही उनकी तबीयत बिगड़ गई। जैसे-तैसे गांव में ही इन बच्चों को उपचार दिलाया गया।
किसी ने फैला दी बच्ची की मौत की अफवाह
धर्मपुर गांव में जैसे ही बच्चे बेहोश हुये तो किसी ने गांव में अफवाह फैला दी कि दवा खाने से एक बच्ची की मौत हो गई। यह खबर आसपास के गांव में भी फैल गई। लोग प्राइमरी स्कूलों की और दौड़ पड़े। इसी बीच स्कूलों की छुट्टी हो गई। इस घटना के बाद शिक्षक भी बेहद डरे नजर आये। वह गांव से बच्चों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेते रहे।
करीब एक घंटे की देरी से पहुंची एंबुलेस
हेड मास्टर ने पहले तो 108 को फोन किया लेकिन एंबुलेंस घंटेभर तक स्कूल में नहीं पहुंच पाई। बार-बार फोन करने पर यही बताया गया कि एंबुलेंस निकल पड़ी है। बीच रास्ते में जाम लगा हुआ है। इसी बीच कुछ ग्रामीण अपने प्राइवेट वाहन लेकर भी पहुंच गये। जैसे ही एंबुलेंस पहुंची तो ग्रामीणों ने चालक पर गुस्सा जाहिर किया। इसके बाद बच्चों को रुड़की सिविल अस्पताल में लाया गया।
रुड़की सिविल अस्पताल के इमरजेंसी मेडिकल अफसर डॉ. पीके दुबे के अनुसार, यह एक सामान्य प्रक्रिया है। जिन बच्चों के पेट में कीड़े होते हैं उनमें दवा लेने के बाद इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं। पेट में टोक्सीन पदार्थ निकलता है। एक बार दवा देने के बाद कीड़े निकल जाते है लेकिन उसके अंडे पेट में रह जाते हैं। इसके आठ दिन बाद दूसरी खुराक दी जाती है। दो साल के ऊपर के बच्चे को पूरी खुराक दी जाती है।