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एसडीएम से भिड़े अधिवक्‍ता

देहरादून। सरकार में प्रारंभिक रूप से निहित की गई उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री साहब सिंह सैनी की पत्नी की भूमि के मामले में अंतिम सुनवाई के दौरान पैरवी कर रहे अधिवक्ता एसडीएम सदर से भिड़ गए। दलीलें खारिज होने पर भी वह आदेश जारी न करने की बात कह रहे थे, जिसे एसडीएम ने अस्वीकार कर दिया।

आरोप है कि इससे नाराज अधिवक्ता ऊंची आवाज में बात करने लगे, जिस पर एसडीएम ने अधिवक्ता को न्यायालय की अवमानना में कार्रवाई की चेतावनी दे डाली। इससे गुस्साए अधिवक्ता कोर्ट छोड़कर बाहर निकल गए और फिर बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ वापस एसडीएम कोर्ट पहुंचे। हालांकि, एसडीएम अपने रुख पर कायम रहे, इसके बाद अधिवक्ताओं ने एसडीएम कोर्ट का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया।
साहब सिंह सैनी की पत्नी रीटा सैनी के नाम पर प्रेमनगर के पास केहरी गांव में 0.036 हेक्टेयर भूमि है। इस भूमि पर निर्माणाधीन भवन भी अस्तित्व में है। प्रशासन की जांच में पाया गया था कि यह जमीन अनुसूचित जनजाति के दो व्यक्तियों से खरीदी गई है, जो कि जमींदारी विनाश अधिनियम का उल्लंघन है।
इस पर कार्रवाई करते हुए अगस्त 2015 में तत्कालीन एसडीएम सदर स्वाति भदौरिया ने जमीन को प्रारंभिक रूप से सरकार में निहित कर दिया था। साथ ही जमीन को अधिनियम की धारा 166 के तहत पूर्ण रूप से सरकार में निहित करने की सुनवाई शुरू कर दी थी। शुक्रवार को मामले में अंतिम सुनवाई की जानी थी। रीटा सैनी के अधिवक्ता का तर्क था कि हाई कोर्ट ने मामले में बेदखली पर रोक लगा रखी है।
वहीं, सरकार की तरफ से पैरवी करते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता ने तर्क दिया कि यह सुनवाई बेदखली की नहीं है, लिहाजा हाई कोर्ट का आदेश इस पर लागू नहीं होता। दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद एसडीएम ने कहा कि इस भूमि को पूर्ण रूप से सरकार में निहित किया जाना उचित प्रतीत हो रहा है। इसी बात पर अधिवक्ता उखड़ गए और ऊंची आवाज में बात करने लगे।
एसडीएम सदर विनीत कुमार का कहना है कि अधिवक्ता को बार-बार कहा गया कि वह कोर्ट की मर्यादा का पालन करें, लेकिन वह नहीं माने। इसके बाद ही उन्हें न्यायालय की अवमानना में कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई।
बार एसोसिएशन देहरादून के अध्‍यक्ष राजीव शर्मा ने बताया कि एसडीएम से बात की थी, लेकिन वह सुलह के मूड में नजर नहीं आए। उनका यह रवैया उचित नहीं है, लिहाजा उनकी कोर्ट का बहिष्कार किया गया है। यदि वह सुलह के लिए हमें आमंत्रित करेंगे तो उस पर भी विचार किया जाएगा।

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