राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम को वापस लेगी सरकार, ये है वजह
यह राज्य का पहला अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम है, जिसे कुछ शर्तों के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी को लीज पर दिया गया।
देहरादून। उत्तराखंड के पहले राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम को 30 साल के लिए लीज पर देने के बाद सरकार अब इसे वापस लेगी। विभाग को इसके लिए सरकार से सैद्धांतिक सहमति मिल गई है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कंपनी ने तय सेवा शर्तों को पूरा नहीं किया। यही वजह है कि स्टेडियम को वापस लिया जा रहा है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर इसे कैबिनेट में लाया जाएगा।
खेल विभाग के निदेशक जितेंद्र सोनकर के मुताबिक, वर्ष 2016-17 में करीब 253 करोड़ रुपये की लागत से इस स्टेडियम का निर्माण किया गया था। यह राज्य का पहला अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम है, जिसे कुछ शर्तों के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी को लीज पर दिया गया। यह कंपनी देश की प्रमुख अवसंरचना विकास और वित्त कंपनी है। सरकारी क्षेत्र की इस कंपनी की 40 सहायक कंपनियां हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम को लीज पर लेने के बाद कंपनी का दिवालिया निकल गया और उसने सेवा शर्तों को पूरा नहीं किया।
कंपनी की ओर से एक ऐसा खाता खोला जाना था, जिसमें जमा धनराशि को बिना सहमति के निकाला नहीं जा सकता था, लेकिन खाता नहीं खोला गया। कंपनी को स्टेडियम परिसर में 2.8 एकड़ भूमि पर खेल अवस्थापनाओं के विकास के लिए दी गई थी, इसे भी नहीं किया गया। महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कालेज में आइस स्केटिंग रिंक को संचालित किया जाना था, इसे भी शुरू नहीं किया गया।
साढ़े सात प्रतिशत ग्रॉस राजस्व पर दिए इस स्टेडियम को लेकर जो सेवा शर्तें थीं उसे पूरा न किए जाने से करोड़ों की लागत से बने इस स्टेडियम का ठीक से इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में स्टेडियम को वापस लेने और इसका प्रस्ताव कैबिनेट में लाने की मंजूरी मिली है।
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