Breaking NewsUttarakhand

Uttarakhand Avalanche: उत्तराखंड में हिमस्खलन से बचाए गए मजदूरों ने सुनाई आपबीती, खबर पढ़कर दहल जाएगा दिल

Uttarakhand : उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में एक हिमस्खलन ने 55 मजदूरों के कैंप को तबाह कर दिया। कई मजदूरों ने बर्फ के सैलाब से बचने की अपनी कहानी सुनाई।

चमोली। उत्तराखंड के चमोली जिले में माणा गांव के पास कंटेनर में रहने वाले 55 मजदूरों में से कइयों ने उस दिन की आंखों देखी कहानी सुनाई है जब उनके कैंप को एक हिमस्खलन ने तबाह कर दिया। हादसे में फंसे मजदूरों में शामिल गोपाल जोशी ने बताया कि वह हर दिन की तरह शुक्रवार को सन्नाटे में लिपटी सुबह की उम्मीद में बाहर निकले। लेकिन, उन्होंने सन्नाटे की जगह बर्फ का सैलाब देखा जो तेज गति से उनकी ओर आ रहा था। इस क्षेत्र में सर्दियों में होने वाले हिमस्खलन ने आखिरकार उस जगह को पूरी तरह बर्बाद कर दिया, जहां वे काम कर रहे थे।

‘यह सब एक झटके में हुआ’

हिमस्खलन के बाद श्रमिक बर्फ की मोटी परत में फंस गए। 50 श्रमिकों को बचा लिया गया, जबकि शनिवार को उनमें से 4 की मौत हो गई। चमोली जिले के नारायणबागर के मूल निवासी जोशी पिछले कई महीनों से एक एक्सीलेटर मशीन संचालित कर रहे थे। ये सभी मजदूर विजय इंफ्रा कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा सीमा सड़क संगठन यानी कि BRO कैंप में कार्यरत थे। जोशी ने याद करते हुए कहा कि यह सब एक झटके में हुआ। उन्हें सेना के ज्योतिर्मठ अस्पताल में अपने 22 सहयोगियों के साथ इलाज के लिए भर्ती कराया गया।

 

 

‘हमें तेज गड़गड़ाहट सुनाई दी’

जोशी ने कहा कि मौसम पिछले कुछ दिनों की तरह ही खराब था। उन्होंने कहा, ‘बाहर बर्फ गिर रही थी। घटना सुबह 6 बजे के आसपास हुई होगी। जैसे ही हम कंटेनर से बाहर निकले, हमें तेज गड़गड़ाहट सुनाई दी। जब हमने ऊपर की तरफ देखा तो एक हिम सैलाब हमारी तरफ़ बढ़ रहा था। मैं अपने साथियों को सचेत करने के लिए चिल्लाया और वहां से भागा। वहां पहले से ही कई फुट बर्फ जमी हुई थी, जिसकी वजह से हम तेजी से भाग नहीं सकते थे। 2 घंटे बाद भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवान हमें बचाने आए।’

Advertisements
Ad 13

‘सभी को सचेत करने के लिए चिल्लाया’

जोशी और उनके साथियों को शनिवार को सेना के हेलीकॉप्टर द्वारा माणा से ज्योतिर्मठ लाया गया, जहां उन्हें सेना के अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया। उनके सिर पर मामूली चोट आई और सीने में था। हिमाचल प्रदेश के विपिन कुमार की पीठ में चोट लगी। विपिन ने बताया कि वह करीब 15 मिनट तक बर्फ में दबे रहे। कुमार ने कहा, ‘मैं तभी बर्फ से बाहर निकल पाया, जब हिमस्खलन रुका। यह मेरा दूसरा जन्म है।’ मनोज भंडारी नाम के एक अन्य मजदूर ने बताया कि वे चोटी से ‘बर्फ के पहाड़’ के खिसकने से जागे। भंडारी ने कहा, ‘मैं सभी को सचेत करने के लिए चिल्लाया और खुद को बचाने के लिए पास में खड़ी लोडर मशीन के पीछे भागा।’

 

 

इसे भी पढ़िएः Uttarkashi Avalanche: गंगोत्री हाईवे पर हुआ हिमस्खलन, सड़क पर भारी मात्रा में आई बर्फ

अधिकांश मजदूरों के शरीर पर चोटें आईं

मथुरा के 3 मजदूरों ने बताया कि हिमस्खलन से बचने की उनकी कोशिश वहां जमी हुई बर्फ के कारण बाधित हुई। पंजाब के अमृतसर के जगबीर सिंह ने बताया कि वे और उनके साथी बद्रीनाथ की ओर भागे। बचाए गए और यहां सेना के अस्पताल लाए गए 19 लोगों में से अधिकांश के शरीर पर चोटें आई थीं। इनमें से दो को गंभीर चोटें आईं, जिन्हें हेलीकॉप्टर से ऋषिकेश स्थित एम्स भेजा गया। मजदूरों ने बताया कि वे सड़क किनारे लगाए गए 5 कंटेनर में रह रहे थे। घटनास्थल पर उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के 55 मजदूर थे, जिन्हें जीआरईएफ ने अनुबंधित किया था।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button