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आचरेकर की एक डांट ने बदल दी थी सचिन की जिंदगी

मुम्बई। विश्व के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के गुरु रमाकांत आचरेकर का बुधवार को निधन हो गया। 87 वर्षीय आचरेकर काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। गुरुवार को उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान सचिन तेंदुलकर अपने आँसू नहीं रोक पा रहे थे। सचिन समेत विनोद कांबली का रो-रोकर बुरा हाल था। आपको बता दें कि आचरेकर ही वह शख्स थे जिन्होंने सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का ककहरा सिखाया था। कहा जाता है कि उनकी एक डांट ने सचिन की पूरी जिंदगी बदलकर रख दी थी।

क्रिकेट के मैदान पर धीर-गंभीर नजर आने वाले सचिन तेंदुलकर बचपन में बेहद शरारती हुआ करते थे। सचिन को क्रिकेट की कोचिंग के लिए उनके बड़े भाई अजीत तेंदुलकर ने उन्हें लिए रमाकांत आचरेकर के पास भेजा। कोचिंग के शुरुआती दिनों में दूसरे बच्चो की तरह सचिन भी अनुशासित नहीं थे। यहीं आचरेकर की एक डांट ने उनकी दुनिया बदलकर रख दी। आचरेकर ने सचिन को ऐसा पाठ पढ़ाया जो उनके जीवन में बेहद काम आया।

साल 2017 में सचिन तेंदुलकर ने एक ट्वीट करके इस वाकये की जानकारी दी थी। इस ट्वीट में सचिन ने लिखा था, ‘यह मेरे स्कूल के दिनों के दौरान बात थी। मैं अपने स्कूल की जूनियर टीम से खेल रहा था और हमारी सीनियर टीम वानखेडे स्टेडियम में हैरिस शील्ड का फाइनल खेल रही थी। उसी दिन आचरेकर सर ने मेरे लिए एक प्रैक्टिस मैच का आयोजन किया था। उन्होंने मुझसे स्कूल के बाद वहां जाने के लिए कहा था। उन्होंने कहा कि मैंने उस टीम के कप्तान से बात की है, तुम्हें चौथे नंबर पर बैटिंग करनी है। मैं उस प्रैक्टिस मैच को खेलने नहीं गया और वानखेडे स्टेडियम जा पहुंचा।

मैं वहां अपने स्कूल की सीनियर टीम को चीयर कर रहा था। खेल के बाद मैंने आचरेकर सर को देखा। मैंने उन्हें नमस्ते किया। अचानक सर ने मुझसे पूछा- आज तुमने कितने रन बनाए? मैंने जवाब में कहा- सर मैं सीनियर टीम को चीयर करने के लिए यहां आया हूं। यह सुनते ही आचरेकर सर ने सबके सामने मुझे डांट लगाई। उनके एक-एक शब्‍द अभी भी मुझे याद हैं।”सचिन के अनुसार रमाकांत आचरेकर ने तब उनसे कहा था कि दूसरों के लिए ताली बजाने की जरूरत नहीं है। तुम अपनी क्रिकेट पर ध्यान दो। ऐसा कुछ हासिल करो कि दूसरे लोग, तुम्‍हारे खेल को देखकर ताली बजाएं।

सचिन ने बताया कि यह उनके लिए बहुत बड़ा सबक था, इसके बाद उन्होंने कभी कोई मैच नहीं छोड़ा। सचिन के अनुसार, “सर की उस डांट ने मेरी जिंदगी बदल दी। इसके बाद मैंने कभी भी क्रिकेट प्रैक्टिस को लेकर लापरवाही नहीं की। परिणाम सबके सामने हैं।” बता दें कि सचिन तेंदुलकर के अलावा विनोद कांबली और प्रवीण आमरे भी रमाकांत आचरे के शिष्य थे। सचिन-कांबली की जोड़ी जितनी मशहूर रही, उतना ही दोनों का रमाकांत आचरेकर से जुड़ाव और दूसरे किस्से मशहूर रहे। सचिन तेंदुलकर अक्सर कोच आचरेकर का हालचाल लेने व उनका आर्शीवाद लेने पहुंचते थे।

यही नहीं अपने आखिरी मैच में रिटायर्मेन्ट की घोषणा के वक्त अपनी स्पीच में सचिन ने अपने गुरु रमाकांत आचरेकर को याद करते हुए कहा था, ”सर मैंने जो भी सीखा है आपसे ही सीखा है, मगर आपने कभी मेरे खेल की तारीफ नहीं की। अब मेरे पास खेलने के लिए एक भी मैच नहीं बचा है उम्मीद है अब आप मेरी सराहना करेंगे।” सचिन की ये स्पीच सुनकर स्टेडियम में बैठे दर्शकों समेत टीवी देख रहे करोड़ों दर्शकों की आंखें भर आयीं थीं।

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