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ऐसे छुड़ाएँ बच्चों से स्मार्टफोन की लत

नयी दिल्ली। अभी हाल ही में ग्रेटर नोएडा में एक 16 वर्षीय लड़के ने अपनी माँ और बहन की हत्या कर दी क्योंकि बहन ने शिकायत कर दी थी कि भाई दिन भर मोबाइल फोन पर खतरनाक गेम खेलता रहता है और इसलिए माँ ने बेटे की पिटाई की, उसे डाँटा और उसका मोबाइल फोन ले लिया। मोबाइल पर मारधाड़ वाले गेम खेलते रहने के आदी लड़के का गुस्सा इससे बढ़ गया और उसने अपनी माँ और बहन की हत्या कर दी और घर से भाग गया।

फिर उठा पुराना सवाल
इस घटना के बाद एक बार फिर सवाल उठा है कि बच्चों को किस उम्र में मोबाइल फोन दिया जाना चाहिए। मनोचिकित्सकों का भी कहना है कि बच्चों को जितना संभव हो स्मार्टफोन से दूर रखना चाहिए। दरअसल होता यह है कि पहले माता-पिता ही लाड़-प्यार में बच्चों को स्मार्टफोन या टैबलेट अथवा आईपैड आदि दे देते हैं और फिर बाद में उसके दुष्परिणाम भुगतते हैं। आइए जानते हैं क्या हैं स्मार्टफोन से होने वाले नुकसान और बच्चों को अगर स्मार्टफोन की लत लग गयी है तो उसे कैसे छुड़ाएँ-
 
स्मार्टफोन या टैबलेट से होने वाले नुकसान
 
-सबसे बड़ा नुकसान तो यह होता है कि बच्चे पूरी तरह स्मार्टफोन पर निर्भर हो जाते हैं। यदि बच्चा स्मार्टफोन का उपयोग अपनी पढ़ाई के लिए भी कर रहा है तो भी नुकसान हो रहा है। जिस उत्तर को खोजने के लिए उसे पुस्तक का पाठ पढ़ना चाहिए या फिर जिस शब्द का अर्थ जानने के लिए डिक्शनरी के पन्नों को पलटना चाहिए वह काम उसका झट से गूगल पर हो जाता है इसलिए बच्चों ने पुस्तकों को पढ़ना कम कर दिया है।
-स्मरण शक्ति को भी पहुँचता है नुकसान। पहले लोग एक दूसरे का फोन नंबर बड़ी आसानी से याद कर लेते थे, कोई घटजोड़ करना हो तो वह भी झट से उंगलियों पर कर लिया करते थे। यही नहीं लोगों के जन्मदिन या सालगिरह इत्यादि भी आसानी से याद रहती थीं लेकिन अब सब कुछ स्मार्टफोन करता है और बच्चों को अपना दिमाग लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
-पर्याप्त नींद नहीं लेने से होता है नुकसान। बच्चों को पर्याप्त नींद लेना जरूरी है लेकिन स्मार्टफोन की लत लग जाये तो बच्चे माता-पिता से छिप कर रात को स्मार्टफोन पर गेम खेलते रहते हैं या फिर कोई मूवी आदि देखते हैं जिससे उनके सोने के समय में तो कटौती होती ही है साथ ही लगातार स्मार्टफोन से चिपके रहने से आंखों को भी नुकसान होता है।
-स्वभाव में आता है परिवर्तन। ज्यादातर बच्चे जिनको स्मार्टफोन की लत लग चुकी है अगर आप उनकी तुलना उन बच्चों से करेंगे जोकि स्मार्टफोन से दूर हैं तो पाएंगे कि स्मार्टफोन उपयोग करने वाले बच्चे सिर्फ वर्चुअल वर्ल्ड में जी रहे हैं और घर वालों से उन्हें कोई मतलब नहीं है। साथ ही उनका स्वभाव भी चिड़चिड़ा हो चुका होता है। अगर आप उन्हें थोड़ी देर के लिए भी स्मार्टफोन से दूर करेंगे तो वह गुस्से में आ जाएंगे या फिर चिल्लाना शुरू कर देंगे।
-उम्र से पहले ही पता लग जाता है सब कुछ। स्मार्टफोन में आप तरह तरह के एप डाउनलोड कर सकते हैं साथ ही यूट्यूब पर जो भी वीडियो चाहे देख सकते हैं और इंटरनेट पर हर तरह की सामग्री उपलब्ध है। ऐसे में बच्चों को जो चीजें एक उम्र में जाननी चाहिए वह उन्हें कम उम्र में ही पता लगने लगती हैं जिसका उनके दिमाग पर असर होता है। हाल ही में दिल्ली में एक खबर आई कि एक पांच साल के लड़के ने अपनी हमउम्र लड़की से बलात्कार किया। इस घटना के पीछे भी यही माना गया कि संभवतः मोबाइल फोन पर कोई क्लिप आदि देख कर वह लड़का प्रेरित हुआ होगा।
 
-हिंसक भी हो जाते हैं या अवसाद में चले जाते हैं। कई ऐसी भी घटनाएं सामने आई हैं कि किसी कारण से बच्चा खुद को अकेला महसूस करता है और ऐसे किसी सोशल फोरम को ज्वॉइन कर लेता है जहां उसे अपनापन लगता है तो उसका गलत फायदा उठा लिया जाता है। ब्लू व्हेल गेम इसका सशक्त उदाहरण है जिसे खेलने वाले को खुद ही मौत को गले लगाना होता है। इसके अलावा बहुत से ऐसे गेम हैं जोकि हिंसक हैं और इसे लगातार खेलते रहने से स्वभाव हिंसक हो जाता है।
बच्चों की स्मार्टफोन की लत कैसे छुड़ाएँ
 
-कहते हैं ना कि बदलाव खुद से ही शुरू होता है, इसके लिए आप खुद भी दिन भर स्मार्टफोन से चिपके रहने की आदत को बदलें और घर पर परिवार के साथ समय बिताएँ ना कि फोन पर। घर पर बच्चों से उनकी पढ़ाई के बारे में बात करें और जितना समय घर पर रहें बच्चों के साथ किसी ना किसी गतिविधि में लगे रहें। इससे बच्चे धीरे-धीरे स्मार्टफोन से दूर होते जाएंगे और आपके साथ समय बिताना उन्हें अच्छा लगेगा।
 
-हर बच्चे की किसी ना किसी चीज में रुचि होती है आप उसके मुताबिक उसे डांस क्लास, स्पोर्ट क्लास, म्यूजिक क्लास, पेंटिंग क्लास या अन्य कोई ज्वॉइन करवा सकते हैं।
 
-बच्चों को बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें और उनके साथ खुद भी खेलें। इससे बच्चों का शारीरिक विकास भी होगा और आपको भी मजा आयेगा।
-बच्चों को हम हर तरह की सुविधा देना चाहते हैं और उनसे कोई काम नहीं करवाते, यह तरीका गलत है। बच्चों को घर के रोजमर्रा के कामों में कुछ ना कुछ योगदान लें इससे उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का भी अहसास होगा और चीजों का महत्व भी पता चलेगा।
-बच्चों को अगर सिर्फ इसलिए फोन देना है कि वह आपके साथ संपर्क में रहे तो उसे स्मार्टफोन देने की बजाय साधारण फोन दें इसका दुरुपयोग होने की संभावना कम होती है।

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