देहरादून। अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) में भारतीय और चीनी सेना के बीच हुई झड़प की खबरें आने के बाद उत्तराखंड की सरहद पर भी अलर्ट हो गया है। भारत चीन संसदीय समूह के पूर्व अध्यक्ष तरुण विजय ने आशंका जताई है कि चीनी सैनिक राज्य के चमोली जिले के बाड़ाहोती क्षेत्र में फिर अपनी शरारत का निशाना बना सकते हैं। पहले भी चीन बाड़ाहोती एलएसी क्षेत्र में 63 बार घुसपैठ कर चुका है।
बकौल तरुण विजय उत्तराखंड में 300 किमी की सीमा चीन- तिब्बत से मिलती है। उत्तराखंड से केंद्र सरकार को जो ब्योरा भेजा गया है, उसके मुताबिक, पिछले 10 साल में चीन की बाड़ाहोती क्षेत्र में लगातार घुसपैठ बढ़ी है। जनरल विपिन रावत के प्रयासों से ही अब बाड़ाहोती पक्के मार्ग से जुड़ गया है। चीन मामलों के जानकार तरुण विजय के मुताबिक, सुरक्षा और सामरिक लिहाज से बाड़ाहोती बेहद संवेदनशील क्षेत्र है। चीन ने एलएसी के पार वहां से ल्हासा तक मार्ग बना लिया है। दूसरा संवेदनशील बॉर्डर मिलन ग्लेशियर है, जहां तक सेना की सड़क से पहुंच बनाने के लिए बीआरओ 60 किमी मार्ग बना रहा है।
उनके मुताबिक, चीन निरंतर इस बात का एहसास दिलाना चाहता है कि भारत के साथ उसकी सीमा का विवाद नहीं सुलझा है। इसी कारण चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों की घुसपैठ भारतीय सीमा में होती रहती है। इस बात की आशंका मोदी सरकार को है, इसलिए सरहद तक सामरिक महत्व की सड़कों का नेटवर्क तैयार किया है।
सीमांत क्षेत्रों में विकास का ढांचा मजबूत करना होगा