बस पर था चालक का पहला दिन, एक ही गलती ने बुझा दिए कई घरों के चिराग
कुल्लू। गुरुवार को हिमाचल में हुए भीषण बस हादसे ने सब को झकझोर कर रख दिया। बंजार में जिस बस के खाई में गिरने से दर्जनों घरों के चिराग बुझ गए, उस गाड़ी में चालक का गुरुवार को पहला दिन था। पहले ही दिन चालक की गलती ने एकसाथ कई मौतों से कोहराम मचा दिया। स्थानीय लोगों के मुताबिक यह बस आए दिन खराब होती रहती थी।
वहीं, भियोठ मोड़ को हादसे के हिसाब से पहले से ही खतरनाक माना जाता है। मोड़ पर न तो क्रैश बैरियर लगे हैं और न ही पैरापिट बनाए गए हैं। ऐसे में बेकाबू होने पर वाहन सीधा मौत में मुंह में समा जाते हैं। बंजार हादसे से पूर्व ड्राइवर ने बस को नियंत्रित करने की कोशिश की लेकिन बस खाई में जा गिरी। बताया जा रहा है कि जब बस खाई में गिरने लगी तो ड्राइवर ने बस की खिड़की खोलकर छलांग लगा दी।
इसके बाद देखते ही देखते सवारियों से खचाखच भरी बस खाई में पलटे खाते हुए 500 फीट गहरी खड्ड तक पहुंच गई। माना जा रहा है कि दुर्घटनास्थल पर यदि क्रैश बैरियर होते तो कई जिंदगियां बच सकती थीं। लेकिन एनएच अथॉरिटी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। स्थानीय लोगों के मुताबिक कई बार एनएच अथॉरिटी को अवगत भी करवाया गया। लेकिन उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया गया।
बंजार बस हादसे की भयावहता इतनी थी कि पहाड़ी की तेज ढलान पर शव जहां तहां झाड़ियों में फंसे हुए थे। ऐसे में रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे अमले और लोगों के लिए घायलों के साथ शवों को बाहर निकालने में भी चुनौती का सामना करना पड़ा। तेज ढलान पर अटके शवों को आखिरकार स्पैन और रस्सी के सहारे खींचकर निकालना पड़ा। दरअसल, हादसे की सूचना मिलने पर बड़ी संख्या में लोग रेस्क्यू को पहुंच गए थे। लेकिन खड्ड में पहुंचने पर उन्हें दुरूह भौगोलिक परिस्थितियों की चुनौती का सामना करना पड़ा।
पहाड़ी की ढलान से लोगों को निकालना सबसे मुश्किल था। इनमें से कईयों की जान जा चुकी थी। ऐसे में घायलों को रेस्क्यू करने के लिए रस्सी और स्पैन का सहारा लिया गया। इसके बाद जाकर उन्हें एंबुलेंस तक पहुंचाया जा सका। उधर, झाड़ियों में फंसे शवों को निकालने में रेस्क्यू दल को खासा जोखिम उठाना पड़ा। लेकिन कड़ी मशक्कत के बाद सभी शव रस्सी और स्पैन की मदद से बाहर निकाल लिए गए। बंजार घाटी के रमेश कुमार, तेजा सिंह, प्रदीप, चमन लाल और दीपू ने कहा कि हादसा भयावह था। घायलों और शवों को बाहर निकालने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
बंजार बस हादसे ने पूरे कुल्लू जिला को झकझोर कर रख दिया है। देखते ही देखते बंजार अस्पताल आंसुओं के सैलाब में डूब गया। कोई अपने भाई के लिए रो रहा था तो कोई बेटा, बेटी और माता-पिता के लिए। एक-एक कर अस्पताल में इतने शव पहुंच गए कि अस्पताल का प्रांगण छोटा पड़ गया। हालात ऐसे बन गए कि घायलों का उपचार ग्राउंड में ही शुरू कर दिया गया। प्रशासन भी जबरदस्त एक्शन में आ गया। सारी सड़कों को सील कर सिर्फ बस हादसे के घायलों को लाने और राहत कर्मियों के वाहनों के लिए के लिए अनुमति दी गई।
उपचार से संबंधित सारे दिशा निर्देश सीएमओ कुल्लू सुशील चंद्र ने अपने हाथ में लिए। डीसी ऋचा वर्मा ने मौके पर पहुंच कर मोर्चा संभाला। देर शाम तक घायलों और मृतकों की पहचान का सिलसिला चलता रहा। स्थानीय युवाओं ने पुलिस और अस्पताल के कर्मचारियों के साथ बराबर की सहभागिता निभाई। बंजार बस हादसे के बाद घटनास्थल के लिए रवाना हुए जिला प्रशासन के अधिकारियों को भी कुल्लू से औट तक जाम से जूझना पड़ा।
वहीं घायलों को लेकर कुल्लू पहुंची एंबुुलेंसों को भी जाम से दिक्कतें झेलनी पड़ीं। एसडीएम एमआर भारद्वाज ने कहा कि उपचार में किसी तरह की ढील नहीं दी गई। घायलों को तुरंत फौरी राहत देकर उपचार के लिए भेजा गया। अस्पताल में लाए गए बहुत से घायलों का उपचार किए बिना ही यहां से रेफर कर दिया गया। हालांकि बंजार में डॉक्टरों की कमी और सुविधाओं के अभाव का बड़ा मुद्दा रहा है, लेकिन सीएमओ ने कुल्लू अस्पताल से यहां छह डॉक्टर घायलों के उपचार के लिए पहुंचा दिए थे। हादसे के तुरंत बाद बंजार में तेज बारिश हुई। इससे राहत कर्मियों को कुछ परेशानी हुई, लेकिन बंजार के युवाओं ने मोर्चा संभाले रखा। सड़क से पांच सौ मीटर नीचे जाकर लोगों ने पहले घायलों को निकाला, फिर शवों को उठाकर लाया गया।