Breaking NewsNational

कार चलाने वाले हो जाएं सचेत, CAG रिपोर्ट में हो गया ये बड़ा खुलासा

दिल्ली में हर साल वायु प्रदूषण क्यों बढ़ जाता है। इस बात का का खुलासा विधानसभा में पेश हुई सीएजी रिपोर्ट में चल गया है। प्रदूषण को लेकर सीएम रेखा गुप्ता ने पूर्व की आम आदमी पार्टी सरकार पर कई खामियों को गिनाया है।

नई दिल्ली। दिल्ली में वायु प्रदूषण एक बड़ी चिंता है। दिल्ली में भाजपा सरकार आते ही इस पर चिंतन-मनन शुरू हो गया है। इसको लेकर विधानसभा में खास चर्चा भी हुई। दिल्ली में वायु प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह क्या है? इसका खुलासा हो गया है। दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति बिगड़ने की प्रमुथ वजह प्रदूषण नियंत्रण तंत्र में कई खामियां हैं। इसमें कार समेत कई वाहनों के पीयूसी प्रमाणपत्र जारी करने में अनियमितताएं, वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली का विश्वसनीय न होना और प्रदूषण नियंत्रण उपायों का खराब क्रियान्वयन शामिल है। यह बात मंगलवार को विधानसभा में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट में कही गई है।

कमजोर नीतियां और खराब समन्वय उजागर

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा ये रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा में पेश की गई। वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण पर दिल्ली की स्थिति बिगड़ने के पीछे प्रमुख कारणों के रूप में प्रमुख नीतिगत कमियों और कमजोर क्रियान्वयन तथा एजेंसियों के बीच खराब समन्वय को उजागर किया गया है।

जल्दबाजी में दिए गए पीयूसी प्रमाणपत्र

रिपोर्ट में कहा गया है कि 1.08 लाख से अधिक वाहनों को प्रदूषण नियंत्रण (PUC) प्रमाणपत्र जारी किए गए, जबकि वे स्वीकार्य सीमा से अधिक कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और हाइड्रोकार्बन (HC) उत्सर्जित कर रहे थे। सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया कि कई मामलों में एक ही समय में कई वाहनों को प्रमाणपत्र जारी किए गए। कभी-कभी एक-दो के एक मिनट के भीतर ही प्रमाण पत्र दिए गए। इनमें बड़ी संख्या में सड़कों पर चलने वालीं कार भी शामिल हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि 2015 से 2020 के बीच प्रदूषण सीमा को पार करने वाले लगभग 4,000 डीजल वाहनों को भी अनुपालन के रूप में प्रमाणित किया गया था, जिससे उन्हें अपने उच्च उत्सर्जन स्तरों के बावजूद सड़क पर बने रहने की अनुमति मिली।

बीजेपी सरकार ने पेश की 8 सीएजी रिपोर्टें

दिल्ली में पिछली आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के प्रदर्शन पर 14 सीएजी रिपोर्टों में से आबकारी और स्वास्थ्य सहित 8 रिपोर्टें बीजेपी सरकार द्वारा अब तक विधानसभा में पेश किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शहर के वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन (CAAQMS) केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा निर्धारित आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते हैं। इससे प्रदूषण नियंत्रण उपायों में अशुद्धियों के बारे में चिंताएं पैदा होती हैं।

Advertisements
Ad 13

प्रदूषण का सटीक स्रोत पता नहीं कर पाई AAP सरकार

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिदिन बताए जाने वाले वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) मूल्य हमेशा वास्तविक प्रदूषण के स्तर को नहीं दर्शाते हैं, जिससे अधिकारियों के लिए प्रभावी ढंग से जवाब देना मुश्किल हो जाता है। रिपोर्ट में पिछली आप सरकार की भी आलोचना की गई है कि वह प्रदूषण के सटीक स्रोतों की पहचान करने के लिए कोई वास्तविक समय अध्ययन करने में विफल रही है।

सड़क पर चल रहे वाहन वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार

विधानसभा में कल पेश हुई रिपोर्ट में कहा गया है, ‘वाहन दिल्ली की खराब वायु गुणवत्ता के लिए प्रमुख स्थानीय योगदानकर्ताओं में से एक हैं।’ 2018-19 से 2020-21 तक 47. 51 लाख ओवरएज वाहनों को डीरजिस्टर करने की आवश्यकता थी। सरकार ने केवल 2. 98 लाख ऐसे वाहनों का पंजीकरण रद्द किया है, जो एंड-ऑफ-लाइफ-व्हीकल (ELV) का एक छोटा सा अंश (6. 27 प्रतिशत) है। जबकि अधिकांश 93. 73 प्रतिशत (44. 53 लाख) ईएलवी की मार्च 2021 तक सक्रिय पंजीकरण स्थिति थी। रिपोर्ट में दर्शाता है कि ये ईएलवी अभी भी दिल्ली की सड़कों पर चल रहे थे।

347 वाहनों को नहीं किया गया स्क्रैप

रिपोर्ट में कहा गया है कि जब्त किए गए 347 वाहनों में से किसी को भी मार्च 2021 तक स्क्रैप नहीं किया गया। जब्त करने वाले गड्ढों की क्षमता केवल 4,000 वाहनों के लिए जगह के साथ बेहद अपर्याप्त है, जबकि स्क्रैपिंग के लिए 41 लाख से अधिक वाहन प्रतीक्षा कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अपर्याप्त प्रवर्तन एक और बड़ी चुनौती है।

पूर्व की सरकार के पास उपकरणों से लैस पर्याप्त कर्मचारी तक नहीं

परिवहन विभाग की प्रवर्तन शाखा के पास प्रदूषण जांच उपकरणों से लैस पर्याप्त कर्मचारी या वाहन नहीं हैं, जिससे उल्लंघनों की प्रभावी ढंग से निगरानी करना मुश्किल हो जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, कर्मचारियों की कमी के अलावा, प्रवर्तन टीमों के पास प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की जांच करने के लिए पीयूसी उपकरण लगे वाहन नहीं हैं। इसके परिणामस्वरूप दिल्ली के प्रवेश बिंदुओं पर अपर्याप्त कवरेज है, जो एक कमजोर प्रवर्तन व्यवस्था का संकेत देता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button