सहसपुर सीट पर टिकट को लेकर कांग्रेस में अंतर्कलह, टूट की कगार पर पार्टी
देहरादून। उत्तराखंड में 14 फ़रवरी को होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर इन दिनों प्रदेश में सियासी माहौल गरमाया हुआ है। वहीं देहरादून की सहसपुर विधानसभा सीट चर्चाओं में छाई हुई है। इस चुनाव में हॉट सीट बनी सहसपुर सीट पर जहाँ मौजूदा विधायक सहदेव सिंह पुंडीर भाजपा के टिकट पर एक बार फिर चुनावी मैदान में उतर रहे हैं तो वहीं कांग्रेस ने अभी तक इस सीट को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
आपको बता दें कि पिछली बार साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने इस सीट पर भाग्य आजमाया था। जिन्हें मौजूदा विधायक सहदेव सिंह पुंडीर के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था। उस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सहदेव सिंह पुंडीर को जहाँ 44055 वोट पड़े थे तो वहीं कांग्रेस उम्मीदवार किशोर उपाध्याय को मात्र 25192 वोटों से ही संतोष करना पड़ा था।
यदि कांग्रेस की ही बात की जाए तो इस सीट पर पार्टी प्रत्याशी को हरवाने के लिए कांग्रेस के नेताओं ने ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सहसपुर क्षेत्र से कांग्रेस के दिग्गज नेता आर्येन्द्र शर्मा ने पार्टी से टिकट न मिलने पर बगावत कर इस सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था और वे तीसरे नम्बर पर रहे थे। आर्येन्द्र शर्मा को कुल 21888 वोट मिले थे, जो क्षेत्र में उनके दबदबे को दर्शाता है। कहना न होगा कि कांग्रेस के आधे से अधिक वोटों का ध्रुवीकरण आर्येन्द्र शर्मा के पक्ष में हुआ था। बाकी कसर कांग्रेस पार्टी के छुटभैय्ये नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड़कर निकाल ली थी। इन नेताओं ने भी कांग्रेस के थोड़े-थोड़े टिकट काटकर बीजेपी प्रत्याशी सहदेव सिंह पुंडीर को फायदा पहुंचाने का कार्य किया था।
अब वहीं आर्येन्द्र शर्मा दोबारा कांग्रेस में शामिल होकर पार्टी से सहसपुर सीट से टिकट मांग रहे हैं। दूसरी ओर पार्टी के दिग्गज नेता किशोर उपाध्याय फिर से इस सीट पर रेस में हैं। किशोर उपाध्याय की पिछली हार को देख पार्टी जहाँ उनको टिकट देने को लेकर संकोच कर रही है, तो वहीं निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर तीसरे नम्बर पर आने को लेकर आर्येन्द्र शर्मा इसे अपनी बड़ी उपलब्धि बताकर टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।
यदि सूत्रों की मानें तो आर्येन्द्र शर्मा को टिकट देने पर पार्टी हाईकमान विचार कर रहा है, तो वहीं आर्येन्द्र शर्मा की दावेदारी को लेकर सहसपुर क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच रोष व्याप्त है। किशोर उपाध्याय के समर्थक एवँ क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं का एक बड़ा धड़ा आर्येन्द्र शर्मा का विरोध करता नजर आ रहा है। इन कार्यकर्ताओं का मानना है कि जिस व्यक्ति ने पिछली बार कांग्रेस प्रत्याशी को हरवाने में अहम भूमिका निभाई थी, भला पार्टी उसे कैसे टिकट दे सकती है। वहीं कांग्रेस के कईं समर्थक आर्येन्द्र शर्मा को टिकट मिलने की सूरत में भाजपा में शामिल होने की बात भी कह रहे हैं।
लब्बोलुआब ये है कि सहसपुर क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी के भीतर छाई अंतर्कलह उभरकर सामने आ रही है और यहाँ पार्टी टूट की कगार पर पहुंच चुकी है। आर्येन्द्र शर्मा का टिकट फाइनल करने से पहले पार्टी हाईकमान को ये भी देख लेना चाहिए कि आर्येन्द्र पर भड़के कांग्रेस समर्थक कहीं अपनी ही पार्टी को नुकसान पहुंचाकर किसी दूसरे दल के प्रत्याशी को फायदा न पहुंचा दें। बहरहाल शीर्ष नेतृत्व का ऐसा सोचना दूर की कौड़ी ही नज़र आ रहा है और हो भी क्यों न जब पार्टी से बगावत कर हरीश रावत की सरकार गिराने वाले व बागियों की टोली लेकर बीजेपी में शामिल होने वाले हरक सिंह की हरकतों को माफ कर पार्टी में उनका स्वागत हो सकता है, तो सहसपुर सीट पर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने वाले आर्येन्द्र को टिकट क्यों नहीं मिल सकता।
यदि राजनीतिक पंडितों की मानें तो इस सीट पर आर्येन्द्र के आने से समीकरण गड़बड़ा सकते हैं। वहीं जानकार ये भी कह रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी एक बार पुनः सहसपुर सीट को थाली में सजाकर बीजेपी को देने की तैयारी कर रही है। अब देखना ये होगा कि कांग्रेस हाई कमान किसके नाम पर मुहर लगाता है। या मौके की नज़ाकत को भांपे बगैर ही कोई कदम उठाता है।