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धूमधाम से मनाया गया गणतंत्र दिवस
नई दिल्ली। गुरुवार को 68वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर विजय चौक से ऐतिहासिक लालकिले तक देश की आन-बान-शान का शानदार नजारा देखा गया जिसमें प्राचीन काल से चली आ रही भारत की अनूठी एकता में पिरोई विविधताओं वाली विरासत, आधुनिक युग की विभिन्न क्षेत्रों की उसकी उपलब्धियां और देश की सुरक्षा की गारंटी देने वाली फौज की क्षमता का भव्य प्रदर्शन हुआ। गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि अबु धाबी के शहजादे मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान थे। परेड में यूएई के सैनिकों की एक टुकड़ी ने अपने देश के ध्वज के साथ हिस्सा लिया जिसमें उसका संगीत बैंड शामिल था।
यूएई के दस्ते में 149 जवान शामिल थे जिसमें 35 संगीतकार हैं। सलामी मंच पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मौजूदगी में राजपथ पर आज भारत की संस्कृति के रंगों और रक्षा क्षेत्र की ताकत का प्रदर्शन किया गया। परेड में जहां सारी दुनिया में सबसे अधिक विभिन्नता वाले देश भारत को एक सिरे में पिरोने वाली उसकी हर कोने की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाया, वहीं अत्याधुनिक हथियारों, मिसाइलों, विमानों और भारतीय सैनिकों के दस्तों ने देश के किसी भी चुनौती से निपट सकने की ताकत का अहसास कराया। सबसे अंत में रोमांच से भर देने वाले वायु सेना के अत्याधुनिक विमानों को राजपथ के उपर से हैरतअंगेज कारनामों के साथ उड़ान भरते देख कर उन विमानों की ताकत के साथ ही वायुसेना के पायलटों का हुनर और जांबाज़ी का अहसास हुआ। विजय चौक से ऐतिहासिक लालकिले तक दोनों ओर उत्साही जनता के विशाल हुजूम के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सलामी मंच से परेड का निरीक्षण किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज सुबह अमर जवान ज्योति पर कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। गणतंत्र दिवस परेड में ही नहीं बल्कि उसे देखने आए देश के हर क्षेत्र, समुदाय, जाति और धर्म के उमड़े जन सैलाब ने अनेकता में एकता के जज़्बे का अनूठा प्रदर्शन किया। परेड के 8 किलोमीटर के रास्ते में बच्चों, महिलाओं, युवाओं और वृद्धों के चेहरों की चमक और उत्साह देखते ही बनता था। करीब 10 बजे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने तिरंगा फहराया। राष्ट्रगान की धुन के बीच 21 तोपों की सलामी एवं हेलिकॉप्टर से पुष्पवर्षा के बाद परेड शुरू हुई। परेड से पहले सलामी मंच पर हवलदार हंगपन दादा को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। यह शांति काल में दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है। आंखों में गर्व का भाव लिये हंगपन दादा की पत्नी श्रीमति चासेल लवांग ने सम्मान स्वीकार किया।
भव्य राष्ट्रपति भवन के समीप से रायसीना हिल्स की ओट से परेड की अगुवाई करने वाली सेना की पहली टुकड़ी की झलक पाते ही विजय चौक से राजपथ तक, पूरा माहौल लोगों की करतल ध्वनियों से गूंज गया। चार एमआई-17 हेलिकॉप्टर आकाश से पुष्प वर्षा करते हुए राजपथ के उपर से गुजरे, इनमें से एक हेलिकॉप्टर तिरंगा लेकर उड़ रहा था जबकि तीन अन्य हेलिकॉप्टरों पर सेना, नौसेना और वायु सेना की पताका फहरा रही थी। इसके बाद परेड कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज नरवाने और उनके नायब मेजर जनरल राजेश सहाय ने सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर- भारत के राष्ट्रपति के प्रति सम्मान प्रकट किया। परेड की कमान संभाले जांबाजों व परमवीर चक्र एवं अशोक चक्र विजेताओं की अगुआई में परेड शुरू हुई। दस्ते में सबसे पहला स्थान अतिथियों को दिया गया। भारत के निमंत्रण पर परेड में शामिल यूएई के दस्ते ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के राष्ट्रीय पर्व का हिस्सा बन आन-बान-शान के प्रतीक राष्ट्रध्वज तिरंगे को सलामी दी। दर्शक दीर्घा ने तालियों से उनका स्वागत किया।
61 कैविलरी दस्ते के पीछे भीमकाय टैंक टी90 को राजपथ से गुजरते देख दर्शक रोमांच से भर उठे। इसके पीछे आए बाल्वे मशीन पिकेट, ब्रह्मोस, आकाश, स्मर्च एवं मिसाइलों को देख कर देशवासियों को सैन्य क्षमता का परिचय मिला। एकीकृत संचार व युद्धक प्रणाली से लैस उन्नत हेलिकॉप्टरों ने राष्ट्राध्यक्ष व राष्ट्रध्वज को सलामी दी। परेड के बड़े आकर्षणों में से एक एमआई-35 हेलिकॉप्टरों, स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस, जगुआर, मिग 29 और सुखोई की सलामी उड़ान रही। इसमें सुपरहक्यूलियस विमान सी17 ग्लोब मास्टर मुख्य आकर्षण रहा। इसके बाद एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर रूद्र के साथ ध्रुव ने भी परेड में हिस्सा लिया। परेड में हथियार का स्थान बताने वाले रडार स्वाति, ढुलाई करने लायक उपग्रह टर्मिनल और आकाश हथियार प्रणाली को भी दर्शाया गया। इसका एक और आकर्षण धनुष तोप प्रणाली रहा। मध्यम क्षमता के रडार अरूध्रा का भी प्रदर्शन किया गया। इसके बाद आए भारतीय सेना की टुकड़ियों की एवं अर्धसैनिक बलों के मार्चिंग दस्ते के एक लय में चल रहे कदमताल देख सभी मंत्रमुग्ध हुए। इनमें गोरखा राइफल्स, गढ़वाल राइफल्स, सिख लाईट रेजीमेंट आदि प्रमुख थे।