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कमरे के अंदर न बनवाएं अटैच बाथरूम और टॉयलेट, ये है वजह

वास्तु शास्त्र में आज जानिए जानिए बाथरूम के रंग के बारें में। वैसे तो आजकल के मॉडर्न टाइम में लोग बाथरूम और टॉयलेट दोनों अटैच करके बनवाते हैं। हर कमरे के साथ एक अलग अटैच बाथरूम और टॉयलेट, लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार बाथरूम और टॉयलेट को एक साथ अटैच करके नहीं बनवाना चाहिये और खासकर कि कमरे के अंदर तो बिलकुल भी नहीं।

अगर रंगों की बात करें तो बाथरूम या टॉयलेट की दीवारों पर सफेद, गुलाबी, हल्का पीला या हल्का आसमानी रंग बेहतर ऑप्शन है। वहीं अगर बाथरूम की टाइल्स की बात करें तो हमेशा लाइट कलर का उपयोग करें। गहरे रंग की टाइल्स न लगाएं। टाइल्स का रंग सफेद, आसमानी या ब्लू होना चाहिए। ये रंग बाथरूम को बिलकुल फ्रेश लुक देते हैं।

वहीं काले और लाल जैसे गहरे रंगों से बचें। यहां तक कि वास्तु के हिसाब से बाथरूम में रखी बाल्टी के रंग का भी ध्यान रखना चाहिये। बाथरूम में नीले रंग की बाल्टी रखें। वास्तु के अनुसार यह शुभ भाग्य का वाहक है। इससे घर में खुशियां आती हैं।

घर में बना हो अटैच लेट-बाथ तो परिवार को बार-बार उठानी पड़ती है ये समस्याएं

वास्तुदोषों का घर में उत्पन्न होना हमारे परिवार के लिए बहुत हानिकारक माना जाता है। इस दोषों के कारण कई बार हमारे बनते हुए कामों में अड़चने आने लगती हैं तो कभी घर का क्लेश खत्म होने का नाम ही नहीं लेता है। इन सभी परेशानियों के पीछे का राज़ हम नहीं जान पाते की आखिर हम कहा गलती कर रहे हैं। लेकिन जाने-अनजाने हम ऐसी गलती करते हैं जिनसे हम परेशानियों को खुद न्यौता देते हैं। जी हां जैसे हम बात करें अटैच लेट-बाथ की, आपको जानकर हैरानी होगी की अटैच लेट-बाथ वास्तुदोषों को उत्पन्न करता है। आजकल के दौर में लोग अपनी सहूलियत के अनुसार घर में अटैच लेट-बाथ बनावा लेते हैं, तो कोई जगह की कमी होने के कारण एक साथ बनवा लेते हैं। लेकिन इनसे उत्पन्न होेने वाला वास्तुदोषों से घर में रहने वालों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

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वास्तुशास्त्र के अनुसार बाथरुम यानि स्नानगृह में चंद्रमा का वास होता है और शौचालय में राहू का वास होता है। यदि घर में स्नानगृह और शौचालय एक साथ होता है तो चंद्रमा और राहू एक साथ होता है। इन दोनों के साथ होने के कारण राहू को चंद्रमा से ग्रहण लग जाता है, जिससे चंद्रमा दोषपूर्ण हो जाता है। चंद्रमा के दूषित होते ही कई प्रकार के दोष उत्पन्न होने लगते हैं। चंद्रमा शांत ग्रह माना जाता है जो की मन और जल का कारक है और राहु को पाप ग्रह माना जाता है यह विष का कारक होता है। इस तरह की युति से जल और विष की युति बन जाती है जो घर में रहने वाले लोगों के लिए अच्छी नहीं मानी जाती।इसका प्रभाव पहले तो व्यक्ति के मन पर पड़ता है और दूसरा उसके शरीर पर।

बाथरूम और टॉयलेट एक साथ होने से घर के सदस्यों के बीच झगड़ा खत्म होने का नाम नहीं लेता है। इसी कारण वास्तु शास्त्र में लेटबाथ को एक साथ बनाना सही नहीं माना जाता है। अगर आप भी अपने घर को वास्तुदोष से मुक्त रखना चाहते हैं तो अपने घर में लेटबाथ को अलग-अलग जगहों पर बनाएं।

 

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वास्तुदोष दूर करने के लिए करें ये उपाय

1. ईशान का कोना हमेशा स्वच्छ व खाली रखना चाहिए। इस जगह शौचालय भी नहीं होना चाहिए। घर में अग्नि का स्थान वास्तुसम्मत दिशा में होना चाहिए। अग्नि का स्थान आग्नेय कोण है, अतः रसोईघर यथासंभव घर के दक्षिण-पूर्व दिशा में बनाना चाहिए। चूल्हा उत्तर-पूर्व दिशा में नहीं होना चाहिए।

2. घर में रखी झाडू को रास्ते के पास नहीं रखना चाहिए। क्योंकि झाडू पर पैर का स्पर्थ होने से धन का नाश होता है।

3. किचन के दरवाज़े के ठीक सामने बाथरूम का दरवाज़ा हो, तो यह नकारात्मक ऊर्जा देगा। इस दोष से बचने के लिए बाथरूम या किचन के बीच में एक कपड़े का परदा या किसी अन्य प्रकार का पार्टिशन खड़ा कर सकते हैं, ताकि किचन से बाथरूम दिखाई न दे।

4. दरवाज़ों के कब्जों में तेल डालते रहें, वरना दरवाज़ा खोलते या बंद करते समय आवाज़ आती है, जो वास्तु के अनुसार अशुभ व नुक़सानदायक होती है।

5. हल्दी को जल में घोलकर एक पान के पत्ते की सहायता से अपने सम्पूर्ण घर में छिडकाव करें। इससे घर में लक्ष्मी का वास तथा शांति भी बनी रहती है।

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