दून महिला अस्पताल में अव्यवस्थाएं चरम पर
देहरादून। दून महिला अस्पताल में व्यवस्थाएं फिर एक बार गर्भवती महिलाओं के लिए कष्टकारी बन गई हैं। यहां से दो वरिष्ठ चिकित्सकों का स्थानांतरण कर दिया गया है। अस्पताल पर अत्याधिक दबाव है और डॉक्टरों की कमी से डिलीवरी तक पर दिक्कत आन पड़ी है। खासकर क्रिटिकल केस में मरीज रेफर करना अस्पताल की मजबूरी बन गया है। दून महिला अस्पताल में चिकित्सकों की खासी कमी है, लेकिन डॉक्टर नियुक्त करने के बजाय यहां से दो चिकित्सकों का तबादला कर दिया गया। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अंजली नौटियाल और डॉ. पदमा का स्थानातरण हो चुका है। वर्तमान समय में यहा प्रोफेसर डॉ. चित्रा जोशी, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रीना पाल, डॉ. मीनाक्षी जोशी, डॉ. मीनाक्षी व डॉ. प्रियंका तैनात हैं।
इनमें से भी डॉ. चित्रा जोशी विभागाध्यक्ष व डॉ. मीनाक्षी जोशी के सीएमएस होने के नाते उनके पास अतिरिक्त काम रहता है। वहीं दो सीनियर रेजीडेंट में से एक ने नौकरी छोड़ने का नोटिस दिया हुआ है। बाकी दो जेआर हैं। ऐसे में रुटीन कार्य के चलते दून महिला अस्पताल में भर्ती मरीजों का इलाज मात्र गिनती के डॉक्टरों के भरोसे है। अस्पताल में रोजाना तकरीबन 30 से 40 डिलीवरी और दस के करीब सिजेरियन होते हैं। महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. मीनाक्षी जोशी का कहना है कि डॉक्टरों की कमी के कारण क्रिटिकल केस करना चुनौती हो रहा है।
एमसीआइ के मानकों के अनुसार दून मेडिकल कॉलेज की महिला विंग में 40 बेड होने चाहिए। उसी मुताबिक डॉक्टरों की संख्या निर्धारित है। लेकिन, यहा पर स्थिति उलट है। दून महिला में करीब 120 मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। ऐसे में गर्भवती महिलाएं जहां तहां फर्श पर लेटी मिल जाएंगी। कई वार्ड में एक बेड पर दो-दो महिलाएं भर्ती हैं।
पहले दून महिला अस्पताल गंभीर स्थिति में गर्भवती को श्री महंत इंदिरेश अस्पताल रेफर कर देता था। श्री महंत इंदिरेश अस्पताल के साथ एनएचएम के तहत अनुबंध था। जिसके तहत इलाज का खर्च सरकार वहन करती थी। पर मेडिकल कॉलेज बनने के बाद यह व्यवस्था भी भंग हो गई। अब अस्पताल प्रशासन नियमानुसार केवल एम्स ऋषिकेश या पीजीआइ चंडीगढ़ को मरीज रेफर कर सकता है। जिससे दिक्कत और भी बढ़ गई है। न यह दूरी के लिहाज से मुफीद है और न जेब के।