दूनवासियों ने नम आंखों से दी वीर शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल को अंतिम विदायी
देहरादून। देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले दून निवासी वीर शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल को दून वासियों ने नम आंखों से अंतिम विदायी दी। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, भाजपा के वरिष्ठ नेता श्याम जाजू, माला राज्य लक्ष्मी शाह, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, गणेश जोशी एवं खजानदास समेत कई हस्तियों, रिश्तेदारों और आम दूनवासियों ने शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल को श्रद्धांजलि दी। उनकी अंतिम यात्रा में भारी संख्या में दूनवासियों का हुजूम उमड़ा।
वीर शहीद विभूति ढौंडियाल के आवास पर मेजर तेरा ये बलिदान, याद करेगा हिंदुस्तान। भारत माता की जय। पाकिस्तान मुर्दाबाद…जैसे नारों के गूंजते रहे। इसी बीच सोमवार देर शाम तिरंगे में लिपटे शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल के पार्थिव शरीर को उनके डंगवाल मार्ग स्थित आवास पर लाया गया। यहां सैकड़ों की संख्या में लोग भी पीछे-पीछे नारेबाजी करते हुए उनके घर के बाहर एकत्र हो गए। शहीद मेजर विभूति की अंतिम यात्र आज सुबह 9:45 बजे शुरू हुई। हरिद्वार में उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
इससे पहले सेना के अफसरों ने मेजर विभूति ढौंडियाल के आवास पर शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की। शहीद के अंतिम दर्शन के लिए तमाम लोग अपनी छतों पर और सड़कों पर जमा हो गए। मौसम खराब होने के बावजूद भी लोग शहीद के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। इस दौरान शहीद विभूति अमर रहे, भारत माता की जय और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए गए। इसके बाद शहीद की पत्नी, मां, दादी और बहनों ने उनके आखिरी दर्शन किए और श्रद्धांजलि दी।
गौरतलब है कि डंगवाल रोड निवासी स्व. ओमप्रकाश ढौंडियाल के पुत्र मेजर विभूति ढौंडियाल सोमवार को पुलवामा में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे। वे 55 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। मेजर विभूति 34 वर्ष के थे। अप्रैल 2018 में ही उनका विवाह फरीदाबाद निवासी निकिता कौल से हुआ था। निकिता कश्मीर विस्थापित परिवार से ताल्लुक रखती हैं और दिल्ली में नौकरी करती हैं। मेजर विभूति जनवरी के पहले सप्ताह में अप्रैल में शादी की पहली सालगिरह पर देहरादून आने का वादा कर ड्यूटी पर गए थे।
सोमवार सुबह उनकी शहादत की खबर पत्नी निकिता कौल के फोन पर मिली। निकिता उस समय दिल्ली जा रही थीं। खबर सुनकर किसी तरह उन्होंने मेजर विभूति की मां सरोज ढौंडियाल को फोन पर उनके पैर में गोली लगने और अस्पताल में भर्ती होने की जानकारी दी। वह दिल की मरीज हैं, इसलिए देर शाम तक भी उन्हें शहादत की खबर नहीं दी गई थी।
सोमवार शाम करीब 5: 30 बजे शहीद का पार्थिव शरीर सेना के विमान से जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचा और देर शाम आवास पर लाया गया। देर शाम शहीद मेजर की पत्नी निकिता और उनके परिजन भी देहरादून पहुंच गए। वे तीन बहनों के इकलौते भाई थे। पिता स्व. ओमप्रकाश ढौंडियाल का 2012 में निधन हो चुका है। वे रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक (वायुसेना) देहरादून में ऑडिटर के पद पर तैनात थे।