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एक बार फिर से विवादों में पद्मावत
नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस याचिका पर अपना फैसला आज सुरक्षित रख लिया जिसमें आरोप लगाया गया है कि बॉलीवुड फिल्म ‘पद्मावत’ में सती प्रथा का महिमामंडन किया गया है और फिल्म के निर्माताओं और निर्देशक के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने की मांग की गई है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि इसमे यह दिखाना होगा कि सती प्रथा के महिमामंडन के विचार को फिल्म के निर्माताओं और निर्देशकों ने जानबूझकर प्रचारित किया है। पीठ ने टिप्पणी की कि फिल्म में जो डिस्क्लेमर है उसके अनुसार यह काल्पनिक कृति है और फिल्म के निर्माताओं या निर्देशक संजय लीला भंसाली की तरफ से इस प्रथा का प्रसार करने की कोई मंशा नहीं दिखाती है।
अदालत ने यह टिप्पणी सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश की जनहित याचिका पर सुनवाई करने के दौरान की। अग्निवेश ने याचिका में सती प्रथा का चित्रण करने वाले दृश्यों को हटाने की मांग की है। सती प्रथा के तहत पति की मृत्यु के तुरंत बाद विधवा पति की चिता के साथ ही आत्मदाह कर लेती है या किसी और तरीके से अपनी जान दे देती है।
अधिवक्ता महमूद प्राचा के जरिये दायर याचिका में दिल्ली पुलिस को फिल्म के निर्माताओं में से एक अजीत अंधारे और भंसाली के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और सेंसर बोर्ड की तरफ से उपस्थित वकील मनीष मोहन ने याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि फिल्म को सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद सार्वजनिक रूप से दिखाने का प्रमाण पत्र दिया गया है।