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बिजली विभाग करने जा रहा है ये बड़ा काम, जानिए कब से होगी शुरूआत

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की योजना के तहत उत्तराखंड के 15 लाख 84 हजार 205 घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने हैं। प्रदेश के 38,016 ट्रांसफार्मर और 33 केवी के 379 व 11 केवी के 1254 फीडरों पर स्मार्ट मीटर लगेंगे।

देहरादून। उत्तराखंड के बिजली उपभोक्ताओं के घरों पर अगले महीने से स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड ने तैयारी पूरी कर ली है। इन मीटरों से मिलने वाले डाटा के विश्लेषण के लिए मुख्यालय में रियल टाइम एनर्जी मैनेजमेंट सिस्टम भी स्थापित किया जा रहा है।

स्मार्ट मीटरों की शुरुआत सरकारी दफ्तरों और बड़े बिजली उपभोक्ताओं से होगी। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की योजना के तहत उत्तराखंड के 15 लाख 84 हजार 205 घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने हैं। प्रदेश के 38,016 ट्रांसफार्मर और 33 केवी के 379 व 11 केवी के 1254 फीडरों पर स्मार्ट मीटर लगेंगे।

पिछले दिनों यूपीसीएल ने स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनी के चयन को निविदा निकाली थी जो पूरी हो चुकी है। काम का आवंटन होने वाला है। वहीं, यूपीसीएल इन मीटरों के डाटा के लिए रियल टाइम मैनेजमेंट सिस्टम स्थापित कर रहा है। इसके लिए यूपीसीएल ने एक और निविदा निकाली है।

2025 तक सभी घरों पर स्मार्ट मीटर

प्रदेश में करीब 26 लाख बिजली उपभोक्ता हैं, जिनमें से 15 लाख 84 हजार 205 घरों में ये मीटर लगाए जाने हैं। यूपीसीएल प्रबंधन के मुताबिक, स्मार्ट मीटर एक तरह के प्रीपेड मीटर की तरह काम करेंगे जो बिजली रिचार्ज खत्म होने पर एसएमएस भेजकर जानकारी देगा।

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बिजली की खपत व बचत पता चलेगी

यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार ने बताया कि इससे बिजली की खपत की जानकारी घंटावार, दिन वार, वर्षवार आसानी से मिल सकेगी। उपभोक्ताओं की बिजली अगर ज्यादा फुंकेगी तो इसकी जानकारी भी मिल जाएगी। बिजली आपूर्ति व मांग का आंकड़ा भी आसानी से मिलेगा। बिजली चोरी पर भी काफी हद तक लगाम लग जाएगी। बिलिंग की दिक्कतें दूर होंगी और विवाद भी खत्म होंगे। लोगों को बिजली बचाने के प्रति प्रेरणा भी मिलेगी। 10 लाख की आबादी ऐसी है, जिन तक इंटरनेट कनेक्टिविटी आसान नहीं है। लिहाजा, वहां बिना इंटरनेट वाले प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे।

उपभोक्ताओं को नहीं देना होगा मीटर का खर्च

प्रति मीटर औसत छह हजार रुपये का खर्च आएगा, जिसमें से 22.5 प्रतिशत पैसा केंद्र से ग्रांट के तौर पर मिलेगा। बाकी पैसा मीटर लगाने वाली कंपनी को यूपीसीएल की ओर से प्रति मीटर प्रतिमाह के हिसाब से 10 साल तक दिया जाएगा। उपभोक्ताओं को इस मीटर के लिए अलग से कोई खर्च नहीं देना होगा।

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