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फीस के अंतर पर तापसी पन्नू ने दिया बड़ा बयान

मुंबई। तापसी पन्नू का कहना है कि उन्हें एक ही फिल्म के लिए लीड एक्टर के मुकाबले बमुश्किल 5-10 प्रतिशत ही पैसा दिया जाता है। वे नेहा धूपिया के रेडियो शो #नोफिल्टरनेहा में पहुंची थीं। जब उनसे पूछा गया कि क्या एक्टर-एक्ट्रेस के बीच फीस को लेकर होने वाला भेदभाव उन्हें परेशान करता है? तो उन्होंने दिया, “बेशक करता है। जब मुझे अपने हीरो की फीस का 5-10 प्रतिशत पैसा ही दिया जाता है तो निश्चित तौर पर मुझे खीझ होती है।”

तापसी आगे कहती हैं, “बॉक्स ऑफिस पर सफलता यह सुनिश्चित करेगी कि अगली फिल्म के लिए मुझे ज्यादा भुगतान किया जाए, जो धीरे-धीरे इस अंतर को बराबर करने की ओर बढ़ रहा है। बहुत ही अनुचित नियम हैं। सिर्फ हमारी इंडस्ट्री में ही नहीं, हो सकता है कि दूसरी इंडस्ट्रीज में भी यही हाल हो। चूंकि हम यहां हैं, इसलिए हमने ज्यादा देखा है। लेकिन नियम हर जगह के अलग होते हैं और पूरी लड़ाई इसी की है। इसी का संघर्ष चल रहा है। लिंग समानता का पूरा मुद्दा यह है कि नियम समान बनाए जाएं। हम उनसे ज्यादा की मांग नहीं कर रहे हैं, बराबरी मांग रहे हैं।”

हालांकि, तापसी को लगता है कि उनकी और भूमि की फिल्म ‘सांड की आंख’ के बाद से चीजों में बदलाव आ सकता है। वे कहती हैं, “मुझे उम्मीद है कि ‘सांड की आंख’ और हमें मिल रहा रिस्पॉन्स समानता की ओर बढ़ा एक कदम है। उदाहरण के लिए हमारे पास कोई बड़ी महिला केंद्रित दिवाली रिलीज नहीं थी। मुझे नहीं याद कि आखिरी बार ऐसा कब हुआ था?”

बकौल तापसी, “यह हमेशा बड़े हीरोज के लिए रिज़र्व रहती है। क्लैश दो हीरो के बीच होता है। जब हम कैलेंडर देखते हैं और महिला केंद्रित फिल्म की रिलीज तय करते हैं तो हमें बचे-खुचे दिनों में से कुछ चुनना होता है। मैं मजाक नहीं कर रही हूं, क्योंकि मेरे साथ कई बार ऐसा हुआ है। हम कैलेंडर लेकर बैठते हैं और फिर सोचते हैं अच्छा इस दिन के बाद, ये सप्ताह खाली पड़ा है। यहां पर कर लेते हैं।”

तापसी आगे कहती हैं, “इससे बहुत निराशा होती है, क्योंकि हम ज्यादा नहीं तो बराबर की ही मेहनत करते हैं। हमारी कहानी भी अच्छी होती हैं। फिर हमें बराबरी का मौका क्यों नहीं मिलता? सिर्फ इसलिए कि यह महिला केंद्रित फिल्म है? क्या आपको बड़ी तारीख न मिलने के लिए यह वजह काफी है? दिवाली पर हम लक्ष्मी की पूजा करते हैं और पता है, जितनी भी देवियां हैं, सभी की पूजा एक निश्चित समय पर होती है। चाहे मैं जीत जाऊं या हार जाऊं, लेकिन बदलाव लाने की ओर कम से कम एक कदम जरूर उठाऊंगी।”

तापसी ने आगे अपनी फिल्म ‘बदला’ का हवाला दिया और कहा कि कहानी उनके इर्द-गिर्द बुनी गई थी। लेकिन ज्यादा श्रेय एक्टर (अमिताभ बच्चन) को मिला। वे कहती हैं, “यहां तक कि जब मैंने ‘बदला’ जैसी फिल्म की। इसके लिए अमिताभ बच्चन के मुकाबले ज्यादा दिन और सीन दिए। वे इसके हीरो थे और मैं विलेन। फिल्म में हीरो के मुकाबले विलेन की ज्यादा मौजूदगी थी। लेकिन जब यह रिलीज हुई तो इसे अमिताभ बच्चन की फिल्म कह दिया गया।

तापसी ने आगे कहा, “जी हां, जब मैंने आवाज उठाई और कहा कि अगर मैंने ज्यादा नहीं तो उनके बराबर ही काम किया है, तब कहीं जाकर लोगों ने मुझे पहचाना और मेरा नाम नाम लेना शुरू किया। चूंकि, यह पुरुष प्रधान इंडस्ट्री है, इसलिए उन्हें इस बात का अहसास तक नहीं कि असल में मैंने ज्यादा काम किया होगा। इसे सर (अमिताभ) की फिल्म कहा गया। इसे महिला केंद्रित फिल्म नहीं कहा गया, बावजूद इसके कि इसमें मेरे ज्यादा सीन थे। इसका श्रेय अमिताभ बच्चन को चला गया। यही वजह है कि मेरे भुगतान में वह बढ़त नहीं हुई, जो ‘सांड की आंख’ के बाद होगी।”

तापसी कहती हैं, “यह विषमता देख मुझे दुख होता है। लेकिन मैं कुछ अनुचित करने या फिर तुरंत बराबर राशि मांगने नहीं जा रही हूं। मैं बॉक्स ऑफिस पर चीजों के समान होने का इंतजार करूंगी और फिर उम्मीद करूंगी कि वे मुझे ईमानदारी के साथ भुगतान करें। वे अभी मुझे खुशी-खुशी भुगतान कर रहे हैं। क्योंकि मैं इस मुद्दे को समझदारी से उठा रही हूं। तुरंत बराबरी की चाह नहीं है, लेकिन इसे अपनी बॉक्स ऑफिस सफलता के साथ बैलेंस कर रही हूं।”

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