एफआरआई में हुआ सह कार्यशाला का समापन
देहरादून। सुगंध और सुरस विकास केंद्र (एफएफडीसी) कन्नौज एवं रसायन एवं जैवपूर्वेक्षण प्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) द्वारा संयुक्त रूप से 10-14 जून 2019 तक आयोजित “सुगंधित तेल, परफ्यूमरी एवं अरोमाथेरापी” विषयक पांच दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आज समापन हुआ। इस आयोजन का समापन सत्र वन अनुसंधान संस्थान के प्रमंडल कक्ष में आयोजित किया गया । डॉ अभिमन्यु कुमार, कुलपति, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। सभा को संबोधित करते हुए डॉ अभिमन्यु कुमार ने देश में उपलब्ध विशाल प्राकृतिक संसाधनों के मद्देनजर सुगंध क्षेत्र में रोजगार और उद्यमिता के विकास के लिए अपार संभावनाएं है। उन्होंने प्रतिभागियों से नवाचार के द्वारा प्राकृतिक संसाधनों में छिपी इस महती संभावनाओं को उद्यमिता विकास के लिए उपयोग करने का आह्वान किया।
उन्होंने सफलतापूर्वक प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन करने के लिए रसायन एवं जैवपूर्वेक्षण प्रभाग, एफआरआई और एफएफडीसी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने प्रतिभागियों को इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से प्राप्त ज्ञान और कौशल को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। प्रारम्भ में, सत्र के अध्यक्ष, मुख्य अतिथि, प्रतिभागियों और सभी उपसथित जनो का स्वागत करते हुए डॉ विनीत कुमार, प्रमुख, रसायन एवं जैवपूर्वेक्षण प्रभाग एफआरआई ने 5-दिवसीय प्रशिक्षण और कार्यशाला की कार्यवाही का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। सभा को संबोधित करते हुए, श्री एस.वी. शुक्ला, प्रमुख निदेशक, एफएफडीसी ने कहा कि एफ एंड एफ उद्योग जंगलों से प्राप्त संसाधनों पर काफी हद तक निर्भर है, इसलिए एफ आर आई और एफएफडीसी जैसे संस्थान देश में सुगंध उद्योगों की उन्नति में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं।
प्रशिक्षण सह कार्यशाला में विभिन्न क्षेत्रों और देश के विभिन्न कोनों से आए सहभागियों ने भाग लिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के छह तकनीकी सत्रों के दौरान, २३ व्याख्यान और पाँच प्रदर्शनों (लाईव डेमोंट्रेशन) के माध्यम से सुगंधित तेलो के निष्कर्षण, प्रसंस्करण, गुणवत्ता मूल्यांकन, मूल्य वृद्धि और सुगंधित तेलों के चिकित्सीय लाभ और सुगंध में उनके अनुप्रयोगों के मौलिक और व्यावहारिक पहलुओं के लिए विस्तृत प्रदर्शन किए गए। इसमें सुगंध उद्योग के विशेषज्ञों, एफआरआई और एफएफडीसी के विशेषज्ञ संकाय, उधमियों और सुगंध चिकित्सकों द्वारा व्याख्यानों और व्यावहारिक प्रदर्शनों के माध्यम से प्रतिभागियों के वैज्ञानिक ज्ञान, कौशल और उद्यमशीलता के विकास का प्रयास किया गया।
प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण कार्यक्रमों की सराहना की और बताया कि कैसे प्रशिक्षण सह कार्यशाला उनके ज्ञानवर्धन और कौसल विकास के लिए फायदेमंद रही है। मुख्य अतिथि द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। डॉ प्रदीप शर्मा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।