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सेलाकुई में कूड़ा-कचरा बना गंभीर समस्या, स्थानीय लोगों को झेलनी पड़ रही परेशानी

देहरादून। सेलाकुई में औद्योगिक क्षेत्र से लेकर आबादी वाले इलाकों तक कूड़ा-कचरा की स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है। स्वारना और आसन नदी को कूड़े का डंपिंग जोन बना दिया गया है। इससे नदियों एवं पर्यावरण का कचूमर निकल रहा है। सेलाकुई से निकलने वाली स्वारना व आसन नदी औद्योगिक इकाईयों व आबादी क्षेत्रों से निकलने वाले कूड़े का डंपिंग जोन बनी हुई हैं। स्थिति यह है कि नदियों में कई टन कूड़ा प्रतिदिन डाला जा रहा है, जिसमें जैविक व अजैविक दोनों तरह का कचरा शामिल है। कचरे की समस्या को नियंत्रित करने के लिए कूड़े के ढेरों में आग भी लगाई जा रही है, जिससे उठने वाला धुआं हवा में जहर घोल रहा है। कचरे से उठने वाली दुर्गंध काफी बड़े क्षेत्र में फैल रही है, जिससे स्थानीय निवासियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

सिडकुल कार्यालय स्थित मार्ग पर कई स्थानों पर जलते कूड़े के ढेर इस बात का सबूत हैं कि कूड़ा प्रबंधन की व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण सेलाकुई में प्रतिदिन कूड़े को व्यापक स्तर पर जलाया जा रहा है। नगर पंचायत प्रशासन का कहना है कि औद्योगिक इकाईयों से निकलने वाले कूड़े को नदियों व सड़कों पर डाला जा रहा है। ऐसे कई लोगों को चिन्हित भी किया जा चुका है, जिन्हें नोटिस भी दिए जा रहे हैं। औद्योगिक क्षेत्रों का कूड़ा नदियों व सड़कों पर डालने की बात से इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने साफ इंकार किया है। उत्तराखंड इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव महेश शर्मा का कहना है कि औद्योगिक इकाईयों के भीतर से निकलने वाले कूड़े के उठान की उनकी अपनी व्यवस्था है। फैक्ट्रियों से निकलने वाले कूड़े को सीधे शीशमबाड़ा कूड़ा प्लांट भेज दिया जाता है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि औद्योगिक इकाईयों व नगर पंचायत के आपसी आरोप-प्रत्यारोप से इतर नगर व औद्योगिक क्षेत्र में कूड़ा-कचरा एक गंभीर समस्या है। जिसके निदान के लिए नगर पंचायत को औद्योगिक इकाईयों के प्रबंधन, व्यापार मंडल व स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर ठोस कार्य योजना बनानी चाहिए ताकि क्षेत्र के पर्यावरण, नदियों व बरसाती नालों को नुकसान न पहुंच सके।

सेलाकुई को नगर पंचायत बने कुछ ही समय बीता है। इस समय में डोर टु डोर कूड़ा कलेक्शन की कार्रवाई शुरू की गई है। इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र में भी साफ-सफाई की व्यवस्था शुरू की गई है। उद्योगों से भी फैक्ट्रियों के भीतर का कूड़ा बाहर सड़कों या नदियों में नहीं डालने को कहा जा रहा है। कूड़े के ढेर में आग लगाने व नदियों में कूड़ा डालने वालों पर कार्रवाई भी नगर पंचायत की ओर से की जाएगी। –बीएल आर्य, अधिशासी अधिकारी, नगर पंचायत

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