सिखों के 10वें गुरू, महापुरूष गुरू गोबिंद सिंह जी की पुण्यतिथि पर शत्-शत् नमन : अजय सोनकर
सदा प्रेम, एकता व भाईचारे का संदेश देने वाले गुरु गोबिंद सिंह जी का आदर्शपूर्ण जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादायी है।
देहरादून। वरिष्ठ भाजपा नेता, प्रसिद्ध जनसेवी एवं वार्ड संख्या 18, इंदिरा कॉलोनी के पूर्व नगर निगम पार्षद अजय सोनकर उर्फ़ घोंचू भाई ने सिखों के 10वें गुरू, गुरू गोबिंद सिंह जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए सादर नमन किया।
इस अवसर पर जारी अपने संदेश में जनसेवी अजय सोनकर ने कहा- सिख धर्म के 10वें गुरु एवं खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोबिंद सिंह जी की पुण्यतिथि पर उन्हें शत्-शत् नमन। सदा प्रेम, एकता व भाईचारे का संदेश देने वाले गुरु गोबिंद सिंह जी का आदर्शपूर्ण जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादायी है।
पूर्व पार्षद अजय सोनकर ने गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु गोविंद सिंह जहां विश्व की बलिदानी परम्परा में अद्वितीय थे, वहीं वे स्वयं एक महान लेखक, मौलिक चिंतक तथा संस्कृत सहित कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। वे भक्ति तथा शक्ति के अद्वितीय संगम थे। उनकी वाणी में मधुरता, सादगी, सौजन्यता एवं वैराग्य की भावना कूट-कूटकर भरी थी। उनके जीवन का प्रथम दर्शन ही था कि धर्म का मार्ग सत्य का मार्ग है और सत्य की सदैव विजय होती है।
वरिष्ठ भाजपा नेता अजय सोनकर ने कहा कि सिखों के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी आज ही के दिन यानी की 7 अक्टूबर को शहीद हो गए थे। उन्होंने कभी भी मुगलों के जुल्म के आगे घुटने नहीं टेके। गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। “वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह” और “सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं, गीदड़ से मैं शेर बनाऊं, तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं” जैसे वाक्य गोबिंद सिंह की वीरता को बयां करते हैं।