इस फिल्म में बाल कलाकार के रूप में नजर आये थे सोनू निगम
मुम्बई। बॉलीवुड के प्रसिद्ध पार्शव गायक सोनू निगम को कौन नहीं जानता। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसे सोनू की आवाज ने प्रभावित न किया हो। मगर क्या आप जानते हैं कि सोनू निगम ने अपने कैरियर की शुरूआत गायकी से नहीं बल्कि अभिनय से की थी। यह बहुत कम लोग जानते हैं कि सोनू निगम ने अपनी शुरुआत बतौर एक्टर के रूप में की थी। उन्होंने सबसे पहले फिल्म ‘कामचोर में राकेश रोशन के साथ अभिनय किया था। इसके बाद ‘साल 1983 में उन्होंने फिल्म ‘बेताब’ में सन्नी देओल और फिल्म ‘उस्तादी उस्ताद से’ में मिथुन चक्रवर्ती के बचपन का किरदार निभाया था, पर शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
दरअसल बचपन से ही सोनू का रूझान संगीत की ओर था। संगीत कितनी बड़ी साधना है, यह फरीदाबाद के उस लड़के से पूछिए जिसने दिल्ली की शादियों और जन्मदिन पार्टियों में गाने से शुरुआत करके बॉलीवुड में बुलंदियों को छुआ है। संगीत के प्रति सोनू निगम का रुझान बचपन से ही था। वह अपने पिता की तरह ही सिंगर बनना चाहते थे। सोनू ने अपने पिता अगम निगम के साथ 4 साल की उम्र से ही स्टेज शो और शादियों में गाना शुरु कर दिया था। वो स्टेज प्रोग्राम में अक्सर मोहम्मद रफी के गाने गाते थे, जिनमें से एक गाना था ‘क्या हुआ तेरा वादा’। इस गाने को सोनू की आवाज में काफी पसंद भी किया जाने लगा था। बॉलीवुड में अपना नाम कमाने के लिए सोनू निगम को काफी स्ट्रगल करना पड़ा था। महज 19 साल की उम्र में वे सिंगिंग में अपना करियर बनाने के लिए मुंबई आ गए, यहां उन्होंने उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान से संगीत की शिक्षा ली।
अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए उन्हें मुंबई में भी स्टेज शो का सहारा लेना पड़ा। यहां भी वह मोहम्मद रफी के गाये हुए गाने को पेश करते थे। उनकी आवाज से खुश होकर टी-सीरिज ने उनके गानों का एल्बम ‘रफी की यादें’ निकाला जो उनके लिए लकी साबित हुआ। फिल्मों में भी उनकी शुरुआत बतौर प्लेबैक सिंगर टी-सीरिज की ही वजह से हुई। साल 1992 में आई फिल्म ‘आजा मेरी जान’ के गाने ‘ओ आसमान वाले’ से उन्हें बॉलीवुड में नए गायक के रूप में पहचान मिल गई थी। इसके बाद उन्होंने साल 1995 में सिंगिंग रियलिटी शो ‘सारेगामापा’ भी होस्ट किया, जो उनके करियर का माइलस्टोन साबित हुआ। फिर तो सोनू ने एक के बाद एक सुपरहिट गाने इंडस्ट्री को दिए। इनमें से कई गानों में खुद सोनू लिड रोल में स्क्रीन पर भी नजर आए थे। आज सोनू को इंडस्ट्री के मॉर्डन रफी के नाम से भी बुलाया जाता है।
अभिनय जगत में सोनू भले ही कुछ खास कमाल नहीं कर पाए लेकिन उनकी गायकी का हर कोई कायल है। अपने करियर में उन्होंने कई बेहतरीन गाने गाए हैं, जिसके लिए उन्होंने कई अवॉर्ड् भी जीते हैं। सोनू निगम को दो बार फिल्मफेयर अवॉर्ड् फिल्म ‘साथिया’ और ‘कल हो न हो’ के लिए मिला है, इसके साथ ही उन्हें फिल्म ‘कल हो न हो’ के टाइटल ट्रेक के लिए नेशनल अवॉर्ड् से भी नवाजा गया है।