महिलाओं के मन में लगाव पैदा किया मोदी ने

साल 2017 के इन पाँच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को जो ये अभूतपूर्व जीत इन राज्यों की जनता ने उन्हें प्रदान की है उसमें सीधा-ंसीधा मोदी के नाम का असर देखा जा सकता है। मोदी का नाम और चेहरा तो जैसे आज भारतीय राजनीति का परिचायक हो गया है। मोदी आज भारत की पहचान बन चुके हैं और ये पहचान उन्होंने बहुत तेजी से पैदा की है। वर्तमान परिदृश्य में वे भारत के सबसे लोकप्रिय व्यक्ति के रूप में स्थापित हो गये हैं।
और बातों के अलावा मोदी के उत्थान में उनकी अन्य खासियतों के अलावा और भी कई बातों की चर्चा होती है परन्तु उनमें से मोदी और उनके स्त्री विमर्श की चर्चा कम ही सुनने को मिलती है। अब जबकि मोदी ने दूसरी बार अपने जादू को साबित किया है तो मोदी और उनके महिलाओं के प्रति विचारों पर एक चिंतन आवश्यक हो जाता है। भाजपा को उत्तर प्रदेश में 300 से अधिक सीटें मिली हैं।
इस बात का महत्व सिर्फ अनुभवी राजनीतिज्ञ ही समझ सकते हैं कि यूपी जैसे राज्य में इतना विशाल बहुमत पाने का क्या मतलब है। अब जाहिर है कि इन चुनावों में महिलाओं ने भी वोट किया है और यूपी तो वैसे भी भारत का सबसे आबाद राज्य है। तो क्या कारण है कि मोदी ने अपने से जुडे़ तमाम तरह के विवादों को पीछे छोड़कर सिर्फ पुरूष मतदाता ही नहीं परन्तु महिलाओं के मन में भी अपने और अपनी पार्टी के प्रति लगाव पैदा किया है इसके कई कारण हैं।
आज के दौर के हाईटेक नेताओं में मोदी ही उन नेताओं का नेतृत्व करते दिखते हैं जो अपने भाषणों की शुरूआत ‘‘मेरी आदरणीय, माताओं और बहनों .. .’’ से करते हैं। मातृशक्ति को प्रणाम करके अपने संबोधनों को आरंभ करने का चलन शुरू से ही भारतीय राजनीति में रहा है परन्तु बीच में ये कहीं विलुप्त सा हो गया था।मोदी ने इस चलन को बढ़ावा देकर महिलाओं के मन में अपनी खास जगह बना ली है। ये खूबी उन्हें मंच से सीधे उनके भाषणों को नीचे मैदान और टीवी में सुन रही महिलाओं के दिल में उतार देती है।
‘स्वच्छ भारता अभियान’ मोदी और उनकी महिलावादी सोच का सबसे बढ़िया उदाहरण कहा जा सकता है। अपने पहले लाल किले व मासिक रेडियो संबोधन ‘मन की बात’ में उन्होेंने स्वच्छ भारत मिशन की योजना सामने रखी थी और तब से लेकर अब तक वे हर मंच पर इस सोच को प्रोत्साहित करते दिखते हैं। गाँव के प्राथमिक विद्यालयों में बच्चियों के लिए अलग शौचालयों के मुददे् को कभी भी 10 वर्ष के यूपीए शासनकाल में उतनी तवज्जो नहीं मिली जितनी कि मोदी ने अपने शासनकाल के पहले वर्ष से देनी शुरू की।
शौचालय ने होने की वजह से ग्रामीण छात्राओं का स्कूल जाने से परहेज करने की समस्या जो वास्तव में ग्रामीण भारत की सबसे ज्वलंत समस्याओं में से एक है से उन्होंने ग्रामीण महिलाओं की रोजाना की परेशानियों को छुआ और गाँव की महिलाओं ने पहली बार महसूस किया कि केन्द्र सरकार उनकी बच्चियों की भलाई और उनके उज्जवल भविष्य के लिए सजग है। भारतीय राजनीति में इस समस्या को इतने बड़े स्तर पर सबके सामने लाने वाला शख्स अगर खुद देश का प्रधानमंत्री हो तो जनता में संदेश यही जाता है कि कोई है जो उनकी बच्चियों के स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य के लिए कुछ करने को लेकर राष्ट्रहित में एक लाभकारी योजना लेकर आयी है। फिर देश के बडे़-ंबड़े सेलिब्रिटियों जैसे अमिताभ बच्चन, आमिर खान आदि से व्यापक स्तर पर प्रचार करवाकर भी मोदी देश की महिलाशक्ति को सशक्त और सुबल बनाने वाले नेता के तौर पर अपनी छवि -साझा करते हैं।
अपने कार्यकाल में मोदी सरकार का ध्यान हमेशा से डिजीटल और नयी तकनीकों पर ज्यादा रहा है और ये उनकी कई योजनाओं से भी सामने आता है। जनधन योजना एक ऐसा ही उददे्श्य है। अभी तक जनधन योजना में कई करोड़ खाते खोले जा चुके हैं और कईयों के खाते तो बिना किसी खास कागजों के खोलने की सुविधा मोदी सरकार ने दी है। इससे न सिर्फ दिहाड़ी मजदूरों का पैसा सुरक्षित हुआ है वहीं आम गृहणियों को भी अपना पैसा बैंक में जमा करने का प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है।
मोदी ने लगातार देश की महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में कदम उठाये हैं और इस वक्त कई योजनाएँ गरीब लड़कियों को वजीफा देने के लिए केंद द्वारा संचालित की जा रही हैं। मोदी और उनकी माँ के प्रति उनका प्रेम भी अक्सर मीडिया की सुर्खियाँ बनता रहा है। इससे भी महिलाओं में उनके प्रति अच्छा संदेश जाता है कि देखो मोदी देश का प्रधानमंत्री होकर भी कितनी विन्रमता और प्यार से अपनी माँ का आशीर्वाद लेने जाता है। ये बात उन्हें आम घरेलू महिला से जोड़ती है और उनमें मोदी और उनके हर कदम के प्रति विश्वास पैदा करती है। अभी मुस्लिमों का तीन तलाक का मामला पूरे देश में चर्चा में है। सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में आगामी महीनों में सुनवाई होनी है। तीन तलाक के इस मसले पर मोदी सरकार का रूख एकदम प्रगतिशील है और शायद यही कारण है कि यूपी के मतदाताओं ने जिसमें से बडी़ भारी संख्या मुस्लिम मतदाताओं की है ने उनमें पर विश्वास जताया है। मुस्लिम महिलाओं को यकीन है मोदी के नेेतृत्व में भाजपा सरकार मुस्लिम महिलाओं की दशा सुधारने को ठोस कदम उठाएगी और उनकी बेटियों की परवरिश में सरकार पूरी मदद करेगी। मोदी और उनके सहयोगी कदम-ंकदम पर तथाकथित संकीर्ण मानसिकता वाले लोगों से खुद को दूर रखें हुए हैं और अगर गलती से भी महिला विरोधी बयान किसी भाजपा सांसद के मुँह से निकलता है तो तुरंत पूरी पार्टी उससे किनारा कर लेती है। 60 साल पार कर चुके मोदी आज भी काफी फिट नज़र आते हैं और उनके चाल-ंढ़ाल में एक पुरूष का तेज और सामर्थय भली-ंभाँति नज़र आता है।
भले की उन पर अपनी पत्नी को साथ न रखने के ताने विपक्षी नेताओं द्वारा कसे जाते हों पर ये उनके जादू का ही प्रताप है कि महिला मतदाताओं में इस बात का कोई गलत संदेश नहीं जाता। युवा लड़कियों पर भी उनकी राजनीतिक पकड़ काफी मजबूत दिखती है और बीते माह देहरादून में हुई चुनावी रैली में युवा लड़कों के साथ ही भारी तादात लड़कियों की भी थी। अब इतनी लोकप्रियता और स्वीकार्यता किसी नेता को ऐसे ही नसीब नहीं हो जाती।
संभव है कि जब मोदी आज से आठ-ंदस साल बाद सार्वजनिक जीवन से अवकाश ले लें तो उनकी आत्मकथा में उन्हें महिलाविमर्श को राष्ट्रीय धरातल पर रखने वाले नेता के तौर पर महिमामंडित किया जाए। ऐसा होगा कि मोदी की महिलावादी छवि प्रस्तुत करके भाजपा भविष्य में होने वाले चुनावों में जनता के बीच जाए। आज जिस मुकाम पर मोदी खड़े हैं उसमें भी उनकी माँ के रूप में एक आम भारतीय महिला का बहुत बडा़ योगदान है। अब अगर महिलाओं के प्रति यही प्रगतिशील सोच उन्हें भारतीय राजनीति के शिखरपुरूष के तौर पर अवस्थित कर रही है तो इसका पूरा श्रेय खुद मोदी को ही जाता है।
- अभिषेक भट्ट