मोदी की आंधी के आगे अकेले डटे हुए हैं केजरीवाल
नई दिल्ली। इन दिनों भाजपा के द्वारा पूरे देश को भगवा रंग में रंगने का प्रयास किया जा रहा है और काफी हद तक भाजपा अपनी इस कोशिश में कामयाब होती भी नज़र आ रही है। सत्ता पाने की होड़ में भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में अब गैर भाजपा शासित राज्यों में सेंधमारी कर अपनी सरकार बनाने की कवायद में जुट गई है। इस बात को सच साबित करने के लिए बिहार का ताजा उदाहरण ही काफी है, जिसमे भाजपा के मोदी और शाह की जोड़ी ने साम-दाम सब अपनाकर वहां की सत्ता को कब्जे लिया।
इससे पूर्व भी भाजपा गोआ और मणिपुर में ये करतब दिखा चुकी है। छह माह पूर्व हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणामों को लेकर भी बीजेपी पर ईवीएम से छेड़छाड़ के कई गंभीर आरोप लगे मगर समय के साथ वो शोर भी थम गया और अब भाजपा अन्य दलों की राज्य सरकारों के साथ छेड़छाड़ करती हुई नज़र आ रही है। यदि भाजपाइयों की मानें तो वे इसे मोदी की आँधी करार दे रहे हैं, मगर एक पार्टी और एक नेता देश में ऐसा भी है जो मोदी की इस तथाकथित आँधी के सामने एक छोर पर डटकर खड़ा हुआ है, उस शख्स का नाम है अरविंद केजरीवाल।
आम आदमी पार्टी के संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एकमात्र ऐसे नेता हैं जो अपनी राजनीति की शुरुआत से ही नरेंद्र मोदी के खिलाफ खड़े नज़र आये। उनकी इस कोशिश के चलते उन्हें एम बार सत्ता से भी हाथ धोना पड़ा किन्तु अपने दमपर एकबार फिर उन्होंने दिल्ली की सियासत में दमदार वापसी की और भाजपा को चारों खाने चित्त कर दिया। तभी से वे प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की आंखों की किरकिरी बने हुए हैं।
यदि आप सूत्रों की मानें तो मोदी और शाह की नज़र अब दिल्ली की सियासत पर है और वो अपने बल का दुरुपयोग कर दिल्ली की आप सरकार को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यूं तो केजरीवाल शुरू से ही आरोप लगाते आये हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के लोग उन्हें काम नहीं करने दे रहे। उन्होंने कई बार अमित शाह और मोदी पर मीडिया को मैनेज कर आम आदमी पार्टी की छवि बिगाड़ने के आरोप भी लगाए और फिर अचानक आप के कुछ नेताओं का पार्टी छोड़कर बीजेपी में चले जाना कहीं न कहीं केजरीवाल के दावों को सही साबित करता है।
बहरहाल अब देखना ये होगा कि अरविंद केजरीवाल आखिर कब तक नरेंद्र मोदी की आंधी के आगे डटकर खड़े रह पाते हैं, या वो भी अन्य दलों के नेताओं की ही तरह “मोदी लहर” के आगे ताश के पत्तों की तरह बिखर जाएंगे।