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प्रधानमंत्री मोदी ने किया पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन, कही ये बात

सुल्तानपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुल्तानपुर में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के बाद लोगों को संबोधित करते हुए योगी सरकार की जमकर तारीफ की और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का नाम लिए बिना उनपर जमकर निशाना साधा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा, “5 साल पहले जो स्थिति थी उसे देखकर मुझे हैरानी होती थी कि आखिर यूपी को कुछ लोग किस बात की सजा दे रहे हैं। यूपी में जो सरकार थी उसने मेरा साथ नहीं दिया, इतना ही नहीं सार्वजनिक रूप से मेरे बगल में खड़े होने पर भी उनको वोट बैंक खत्म होने का डर लगता था।”

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मोदी के भाषण की बड़ी बातें-

  • पांच साल पहले जो स्थिति थी उसे देखकर मुझे हैरानी होती थी कि आखिर यूपी को कुछ लोग किस बात की सजा दे रहे हैं। यूपी में जो सरकार थी उसने मेरा साथ नहीं दिया, इतना ही नहीं सार्वजनिक रूप से मेरे बगल में खड़े होने पर भी उनको वोट बैंक खत्म होने का डर लगता था। मैं MP के रूप में आता था तो हवाई अड्डे पर स्वागत करके खो जाते थे। उनको शर्म आती थी क्योंकि काम का हिसाब देने के लिए उनके पास कुछ था ही नहीं। योगी सरकार से पहले वाली सरकारों ने जिस तरह यूपी के साथ भेदभाव किया। मुझे पता था यूपी के लोग ऐसा करने वालों को यूपी के विकास के रास्ते से हटा देंगे।
  • पहले की सरकारों के लिए विकास वहीं तक सीमित होता था, जहां उनका परिवार था, उनका घर था। आज जितना पश्चिम का सम्मान है, उतना ही पूर्वांचल के लिए प्राथमिकता है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे आज खाई को पाट रहा है। इस एक्सप्रेस-वे के बनने से अवध के साथ-साथ बिहार को भी लाभ होगा। 340 के पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की विशेषता सिर्फ यही नहीं है कि ये लखनऊ, बाराबंकी, अयोध्या, अंबेडकरनगर, अमेठी, सुलतानपुर, आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर को जोड़ेगा। इसकी विशेषता ये है कि ये लखनऊ से उन शहरों को जोड़ेगा जिनमें विकास की असीम आकांशा है, जहां विकास की बहुत बड़ी संभावना है।
  • एक व्यक्ति घर भी बनाता है तो पहले रास्तों की चिंता करता है, मिट्टी की जांच करता है, दूसरे पहलुओं पर विचार करता है। लेकिन यूपी में हमने लंबा दौर, ऐसी सरकारों का देखा है जिन्होंने कनेक्टिविटी की चिंता किए बिना ही औद्योगीकरण के सपने दिखाए। परिणाम ये हुआ कि ज़रूरी सुविधाओं के अभाव में यहां लगे अनेक कारखानों में ताले लग गए। इन परिस्थितियों में ये भी दुर्भाग्य रहा कि दिल्ली और लखनऊ, दोनों ही स्थानों पर परिवारवादियों का ही दबदबा रहा। सालों-साल तक परिवारवादियों की यही पार्टनरशिप, यूपी की आकांक्षाओं को कुचलती रही।

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