Breaking NewsEntertainment

‘मर्सल’ के खिलाफ जनहित याचिका खारिज

चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय ने जीएसटी से संबद्ध विवादित संवाद को लेकर विजय अभिनीत ‘मर्सल’ को जारी सेंसर प्रमाण पत्र रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज करते हुए कहा कि लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार फिल्मों पर भी लागू होता है। याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में यह दलील दी थी कि फिल्म में ऐसे दृश्य एवं संवाद हैं जो देश की सम्प्रभुता और अखंडता एवं राज्य की सुरक्षा के हित के विरुद्ध हैं।

न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश एवं न्यायमूर्ति एम सुंदर की खंडपीठ ने वकील ए अश्वथामा की याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘‘यह लोकतंत्र है और लोगों के पास अभिव्यक्ति के अधिकार हैं और यह फिल्मों पर भी लागू होता है।’’ खंडपीठ ने कहा, ‘‘ जबकि आज मीडिया ने यह रिपोर्ट दी है कि राज्य में विपक्ष के नेता ने नोटबंदी की आलोचना की है, तो क्या अदालत ऐसे बयान देने से रोकने के लिये उनके खिलाफ आदेश पारित करे।’’

Advertisements
Ad 13

याचिका में दलील दी गयी थी कि फिल्म में जीएसटी और डिजिटल भारत योजना के बारे में स्पष्ट तौर पर गलत सूचना दी गयी है जो लोगों को कर चोरी में संलिप्त रहने के लिये प्रोत्साहित करेगा। सेंसर बोर्ड के फिल्म को प्रमाणपत्र जारी करने पर हैरानी जताते हुए याचिकाकर्ता ने कहा, ‘‘यह फिल्म पूरी तरह भारत के बारे में गलत दुष्प्रचार और गलत संवाद तथा दृश्यों से भरी है जो नयी कर प्रणाली (माल एवं सेवा कर) के बारे में जाहिर तौर पर गलत धारणा बनाती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button