यमुनोत्री धाम पर मंडरा रहे खतरे को लेकर जनसेवी भावना पांडे ने व्यक्त की चिंता
देहरादून। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी, जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केंद्रीय अध्यक्ष एवँ प्रसिद्ध समाजसेवी भावना पांडे ने यमुनोत्री धाम पर मंडरा रहे खतरे को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है। मीडिया को जारी बयान में उन्होंने कहा कि यमुनोत्री धाम में मंदिर के साथ ही धर्मशाला और गर्मकुंड पर भी खतरा मंडराने लगा है। धाम में यमुना का जलस्तर बढ़ने से यमुनोत्री मंदिर समिति के साथ तीर्थ पुरोहित भी सहमे हुए हैं।
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने सरकारी लापरवाही का ज़िक्र करते हुए कहा कि यमुनोत्री धाम की सुरक्षा के नाम पर बीते दस वर्षों में तीन करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च हो चुकी है लेकिन, लीपापोती और निम्न गुणवत्ता के कार्यों के चलते स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। महत्वपूर्ण बात यह कि वर्ष 2013 की आपदा के बाद भी यमुनोत्री धाम की सुरक्षा को लेकर सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
उत्तराखंड की बेटी भावना पांडे ने चिंता जताते हुए कहा कि दरकते कालिंदी पर्वत के ठीक नीचे स्थित यमुनोत्री धाम में वर्ष 1982, वर्ष 1984, वर्ष 2002 व वर्ष 2004 में पत्थर गिरने और नदी का जलस्तर बढ़ने से गर्भगृह को नुकसान पहुंचने की घटनाएं हो चुकी हैं। वर्ष 2004 में तो पहाड़ी से पत्थर गिरने के कारण मंदिर परिसर में मौजूद छह व्यक्तियों की मौत हो गई थी। इन तमाम घटनाओं के बावजूद सरकार ने कोई सबक नहीं लिया और आजतक इस पवित्र धाम की सुरक्षा को लेकर वो लापरवाह बनी हुई है।
जनसेवी भावना पांडे ने कहा कि यमुनोत्री धाम बाढ़, भूस्खलन और पत्थर गिरने की घटनाओं को लेकर काफी संवेदनशील माना जाता है, जिसका समय रहते उपचार किया जाना जरूरी है। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि बीते दो वर्ष से प्रसाद योजना के तहत सुरक्षा उपाय और धाम के कायाकल्प की बात हो रही है, लेकिन आज तक इस दिशा में सरकार और प्रशासन की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया।
जेसीपी अध्यक्ष भावना पांडे ने कहा कि राज्य सरकार उत्तराखंड में तीर्थाटन एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के बड़े-बड़े दावे करते नहीं थकती किन्तु वास्तविकता कुछ और ही नज़र आती है। उन्होंने बड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि जब प्रदेश के पवित्र धाम ही सुरक्षित नहीं हैं, तो भला ऐसे में तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा का अंदाजा स्वयं ही लगाया जा सकता है। उन्होंने धामी सरकार से मांग करते हुए कहा कि तत्काल इस क्षेत्र की सुध ली जाए एवं यहाँ की संवेदनशील जगहों को चिन्हित कर उनका समय रहते उपचार किया जाए।