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चंपावत के स्कूल में हुई छात्र की मौत पर जनसेवी भावना पांडे ने जताया दुःख, सरकार किया ये सवाल

देहरादून। उत्तराखंड की बेटी, वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी, प्रसिद्ध जनसेवी एवं जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केंद्रीय अध्यक्ष भावना पांडे ने चंपावत के स्कूल में हुए हादसे में छात्र की मौत पर दुःख जताया है। साथ ही उन्होंने पहाड़ों में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली को लेकर कईं सवाल खड़े किए और सरकार पर निशाना साधा।

वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा कि चंपावत में पाटी मोनकांडा प्राइमरी विद्यालय के शौचालय की छत गिरने से कक्षा तीन में पढ़ने वाले बच्चे चंदन सिंह लडवाल (9) पुत्र गोधन सिंह की मौत हो गई, जबकि पांच बच्चे घायल हो गए। हादसे की खबर सुनते ही गांव में मातम पसर गया। बच्चों के परिजन दौड़े-दौड़े स्कूल पहुंचे। स्कूल में हुए इस हादसे से जहां परिजनों में रोष है तो वहीं अन्य बच्चे भी डरे सहमे हैं।

उत्तराखंड की बेटी भावना पांडे ने कहा कि चंपावत के पाटी मोनकांडा प्राइमरी स्कूल में हुए हादसे की खबर ने पहाड़ के विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। उन्होंने सरकारी व्यवस्था पर रोष जताते हुए कहा कि उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में स्कूलों का बुरा हाल है। अधिकतर स्कूली इमारतों की हालत जर्जर है व छतों पर गहरी दरारें पड़ी हुई हैं। ऐसे में कभी भी कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है।

जनसेवी भावना पांडे ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में विद्यार्थियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। कईं मील पहाड़ी व पथरीले रास्तों पर पैदल चलकर, नदी व नालों को पारकर बच्चे किसी तरह स्कूल पहुंचते हैं किंतु वे अब स्कूल में भी सुरक्षित नहीं हैं। रास्ते में नदी-नालों में बह जाने व जंगली जानवरों का शिकार होने का भय तो होता ही है। साथ ही बच्चे अब अपनी जानपर खेलकर जर्जर स्कूल भवनों में पढ़ने को भी विवश हो रहे हैं।

जेसीपी अध्यक्ष भावना पांडे ने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि पहाड़ों में स्कूलों को आखिर कब दुरुस्त किया जाएगा, सरकार कब शिक्षा व्यवस्था की सुध लेगी और कब इसमें सुधार होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा पर सभी का अधिकार है किंतु पहाड़ के बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए जान जोखिम में डालनी पड़ रही है। वहीं स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं कईं कक्षाओं को मात्र एक शिक्षक के भरोसे छोड़ा गया है और अधिकतर वे भी नदारद रहते हैं। भला ऐसे में कैसे देश के भविष्य का निर्माण होगा।

उन्होंने मुख्यमंत्री धामी व शिक्षा मंत्री डॉ. धनसिंह रावत से सवाल करते हुए कहा कि प्रदेश की बदहाल शिक्षा व्यवस्था में सुधार के बड़े-बड़े दावे करने वाली डबल इंजन की सरकार आखिर कब धरातल पर उतरकर काम करेगी। हादसों के बाद महज़ मुआवजा देने से कुछ नहीं होगा, व्यवस्थाओं को दुरुस्त कर दुर्घटनाओं को घटित होने से रोकने के उपाय करने होंगे तभी हमारे बच्चों का जीवन और भविष्य सुरक्षित हो पायेगा।

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