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देवभूमि में बसी अवैध बस्तियों को लेकर जनसेवी भावना पांडे ने उठाये सवाल, सरकार से की ये मांग

देहरादून। उत्तराखंड की बेटी, वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी, प्रसिद्ध जनसेवी एवं जनता कैबिनेट पार्टी की केंद्रीय अध्यक्ष भावना पांडे ने देवभूमि में झुग्गियों में रह रहे लोगों के प्रति चिंता व्यक्त की है। साथ ही उन्होंने प्रदेश के नेताओं की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं।

वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा कि उत्तराखंड में अलग- अलग जगह झुग्गियों व बस्तियों में रह रहे गरीब तबके के लोगों की ज़िन्दगियों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। नेताओं के द्वारा इनका वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। ये सब देखकर अफ़सोस होता है। उन्होंने कहा कि नेताओं के द्वारा पहले तो बाहर से आये इन गरीब लोगों को लालच देकर नदी व नालों की कब्जे वाली जमीनों पर बसा दिया जाता है। फिर चुनाव में वोट बटोरने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है। किंतु इनकी सुरक्षा की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता।

उत्तराखंड की बेटी भावना पांडे ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इन अवैध मलिन बस्तियों में बसे ये लोग दिहाड़ी मजदूरी करके किसी तरह अपनी गुज़र-बसर करते हैं। वहीं नदी नालों में बरसात के दिनों में बाढ़ आ जाने पर कईं लोग आपदा के भी शिकार हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में अक्सर आने वाली आपदाओं में ज्यादातर नेताओं के द्वारा निर्मित आपदा होती हैं। नेताओं द्वारा बसाई गई अवैध बस्तियां इसका उदाहरण हैं।

जेसीपी अध्यक्ष भावना पांडे ने कहा कि प्रदेश के अधिकतर नेताओं के द्वारा प्रशासन के कुछ अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर ज़मीनों को खुर्दबुर्द करने का खेल बड़े स्तर पर खेला जा रहा है। भूमाफिया किस्म के कुछ नेताओं ने जंगलों, नदियों और नालों के साथ ही श्मशान तक की भूमि को नहीं छोड़ा है। सभी जमीनों पर अवैध रूप से धड़ल्ले से प्लाटिंग की जा रही है और बस्तियां बसाई जा रही हैं।

जनसेवी भावना पांडे ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि नदी नालों में अवैध बस्तियों में बसे इन गरीब लोगों को चिन्हित कर इनका पुनर्वास किया जाए व इन्हें सुरक्षित स्थानों पर बसाया जाए। साथ ही अवैध रूप से बसी हुई बस्तियों को ध्वस्त कर उन दोषी लोगों पर कार्रवाई की जाए जो ऐसी बस्तियों को बसाने के लिए व मासूम लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ करने के लिए जिम्मेदार हैं। यदि समय रहते कोई ठोस कदम न उठाया गया तो किसी दिन ये बस्तियां बड़ी आपदा की शिकार हो सकती हैं और देवभूमि में भारी जानमाल का नुकसान हो सकता है।

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