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राम भरोसे चल रहा है ऊर्जा विभाग, कब आएगा बदलाव ?

देहरादून। हमारा उत्तराखंड ऊर्जा प्रदेश कहलाने वाला प्रदेश और कितने दिन तक कहलाता है क्योंकि दुर्भाग्य की बात यह कि जो ऊर्जा विभाग अपने ढांचे को सही नहीं कर सकता उस विभाग पर आम जनमानस क्या विश्वास कर सकेगा और वो विभाग जनता की समस्याओं को क्या गंभीरता से सुनेगा। जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड ऊर्जा विभाग की। इस विभाग के उच्च अधिकारी एवँ प्रशासनिक अधिकारियों का यह आलम है कि इन्हें विभागीय नियमावली का ज्ञान तक शायद नहीं है। या यूं कहा जाए कि विभाग में रिक्त पड़े पदों पर नियुक्तियां करने की फुर्सत ही नहीं है या मौजूदा अधिकारी नयी नियुक्तियां को रोके हुए है। क्योंकि दिन-ब-दिन घोटालों और जांचो सूची लंबी होती जा रही है परंतु जाँचों के नाम पर भी बड़ी अनियमतायें बरती जा रही।

इसके साथ ही कुंभकर्ण की निद्रा में सोए प्रदेश सरकार के आला अधिकारी आज तक निदेशक वित्त एवं मानव संसाधन पद पर नियुक्ति विज्ञापन तक नहीं निकाल पाए हैं। निदेशक स्तरीय UPCL, PTCUL और UJVNL के दर्जनों महत्वपूर्ण पद वर्षों से अतिरिक्त प्रभार ही चल रहे है। इसके साथ ही उच्च न्यायलय के आदेश के कई मामले संज्ञान में आए हैं जो ऊर्जा विभाग से संबंधित हैं, जैसे निदेशक परियोजना पिटकुल का पद वर्षों से चयनित अधिकारी की नियुक्ति के इंतजार में है परंतु इस पद पर अतिरिक्त प्रभार से महज खानापूर्ति की जा रही है। जिससे प्रदेश की महत्वपूर्ण परियोजनाओं का भविष्य खतरे मैं है। जिसका परिणाम है, जो दर्जनों परियोजनाए गत वर्षों में पूरी की जानी थी। उनमे से मात्र 1-2 परियोजना को ही पूरा किया जा सका है।

गौर करने वाली बात यह है कि इस महत्वपूर्ण विभाग का भला होना कैसे संभव है। ऊर्जा विभाग लगातार विवादों में घिरा रहा है। यह महत्वपूर्ण विभाग अर्श से फर्श पर आ चुका है और रेंग रहा है। विभाग के आला अधिकारी आँखे मूंदे हैं। इन तमाम बिंदुओं पर जब हमने ऊर्जा सचिव से संपर्क करने का प्रयास किया तो सचिव महोदया ने अपने मीटिंग में व्यस्त होने का हवाला देकर कन्नी काट ली। यक्ष प्रश्न यह है आखिर इन तमाम सवालों का जवाब कौन देगा और कब तक इस महत्वपूर्ण विभाग की कार्य शैली में बदलाव आएगा?

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