संदेह के घेरे में आबकारी मंत्री की चुप्पी
आबकारी मंत्री के नाम पर खुली गुंडागर्दी का खेल खेला गया। हमलावर पहले से ही आबकारी मंत्री के कथित संरक्षण को उभारने की कोशिश करते रहे थे। बकौल, पीड़ित पक्ष-कुछ दिन पहले हमलावरों ने कहा था कि आबकारी मंत्री ने शराब की सारी कैंटीन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के बेरोजगार कार्यकर्ताओं को दे दी है।
इन स्थितियों के बीच, हर्रावाला कैंटीन प्रकरण ने बहुत बडे़ सवाल खडे़ कर दिए हैं। कसौटी पर जीरो टॉलरेंस और सुशासन जैसी तमाम बातें हैं। हालांकि आबकारी मंत्री प्रकाश पंत उनसे जोड़ कर की गई सारी बातों को खारिज कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि ये बात सच्चाई से पूरी तरह परे है। ऐसे लोगों का वह संज्ञान लेंगे और उचित कार्रवाई होगी।
इस पूरे मामले में आबकारी मंत्री से लेकर अभाविप के पदाधिकारी तक किनारा कर रहे हैं। पुलिस में दर्ज कराई गई रिपोर्ट और दी गई तहरीर में कहीं आबकारी मंत्री से संबंधित एक लाइन का जिक्र नहीं है। मगर पूरे मामले में घायल कैंटीन ठेका संचालक धर्मपाल सिंह का बयान महत्वपूर्ण है। बकौल, धर्मपाल सिंह-हमला करने वाले लोगों ने कुछ दिन पहले कहा था कि आबकारी मंत्री ने सभी कैंटीन अभाविप के बेरोजगार कार्यकर्ताओं को दे दी है।
इस पर कोई दूसरा काम नहीं कर सकता। तहरीर में इस बात का जिक्र न करने की वजह पूछी गई, तो धर्मपाल सिंह का साफ कहना था-वह किस-किस से लड़ते फिरेंगे। इन स्थितियों के बीच, हर्रावाला कैंटीन प्रकरण ने अभाविप से लेकर आबकारी मंत्री तक के लिए चुनौती खड़ी कर दी है, जिसमें एक तरफ, उनका नाम खराब करने की कोशिश है, तो दूसरी तरफ, दोषी लोगों पर ठोस कार्रवाई करने का दबाव भी। आबकारी मंत्री प्रकाश पंत कह रहे हैं कि जो बातें कही जा रही है, वह गले उतरने वाली नहीं हैं। वह पूरे मामले का संज्ञान लेंगे।