शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा पंत ने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए लिखा खत
देहरादून। बीते दिनों मुख्यमंत्री के जनता दरबार में अपनी आवाज़ बुलंद करने को लेकर सुर्खियों में आयीं शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा पंत ने राज्य की त्रिवेंद्र सरकार पर अपनी उपेक्षा किये जाने की शिकायत करते हुए सोशल मीडिया पर एक पत्र मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री को लिखा है।
आपको बता दें कि उत्तरा बहुगुणा उस वक्त चर्चाओं में आई थीं जब वे अपनी फरियाद लेकर मुख्यमंत्री के जनता दरबार में पहुंची थीं। वहाँ सीएम रावत के सामने बेबाकी से अपनी पीड़ा बयाँ करने के बाद वे मीडिया के आकर्षण का केंद्र बन गयी थीं।
उनकी बेबाकी भरे अंदाज़ से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत उखड़ गए थे और उनका पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया था। यही नहीं उन्होंने बुज़ुर्ग शिक्षिका को धक्के मारकर बाहर निकालने तक का आदेश सुरक्षा कर्मियों को दे दिया था। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया में खूब वायरल हुआ था।
पीड़ित शिक्षिका की शिकायत है कि तभी से लेकर अबतक सरकार द्वारा उनके साथ अनदेखी की जा रही है। अपनी उपेक्षा से तंग आकर उन्होंने थक-हारकर राज्य के सीएम और शिक्षा मंत्री के नाम एक शिकायत भरा खत लिखा है जो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है। आइए जानते हैं उन्होंने आखिर क्या है लिखा है इस खत में:
मुख्य मंत्री जी / शिक्षा मंत्री जी
उत्तराखंड सरकार
देहरादून !
विषय — महिला शिक्षिका की अनदेखी करना !
मेरे द्वारा आप दोनों को व्यक्तिगत रूप से मिलकर लिखित और मौखिक शिकायत की गई ! लेकिन खेद है कि आप दोनों ने ही इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की ! आप उत्तराखंड के विकास के लिए केन्द्र सरकार से धन की माँग करते हैं ! जो की पूरी की जाती है ! मैंने आपसे ना ही आपके निजी धन की माँग की है ! और ना ही सरकारी खजाने से कुछ माँगा है ! मैंने योग्यता के आधार पर जीवन यापन हेतु जो पद हासिल किया था ! उसके लिए न्याय की गुहार लगाई थी ! जिस पर मेरे बच्चों का भविष्य निर्भर है ! उत्तराखंड राज्य में उत्तराखंड की बेटी के साथ ये अन्याय किस आधार पर किया जा रहा है ! जबकि मेरे द्वारा कोई भी गलती नहीं की गई है ! यदि सबको ये लगता है तो मैं बार बार जाँच करने के लिए खुद लिखित रूप में कह रही हूँ ! फिर जाँच करने में परेशानी किस बात की ! यदि किसी की ईमानदारी और नियत को परखना है तो सबके निजी खातों की और चल अचल सम्पति की जाँच करवाई जाए ! दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा ! कुछ नहीं हो सकता है ! तो उत्तराखंड के विकास के लिए देवी देवताओं की डोली नचाना और बात बात पर उनकी कसमें खाना भी छोड़ दीजिए ! क्योंकि वो भी इतने अपवित्र हो गए हैं कि किसी असहाय की मदद करने में असहाय हो गए हैं !
सरकार को देख कर एक कहावत याद आ रही है –
नौ मण छांछ जो नंदु खुद पी जाता है ! उस नंदु के पास क्या जाना छांछ मांगने !
मुझे परेशान करने का कारण ये है कि मेरी अनुपस्थिति में विद्यालय के ताले तोड़ कर मध्याहन भोजन के कुछ माह के बाउचर चोरी हुए हैं ! उसका सबूत मुझ से माँगा जा रहा है ! जबकि मैं शासन के गलत आदेश का पालन करते हुए दूसरे विद्यालय में तैनात थी ! ताले टूटने की मुझे कोई सूचना नहीं दी गई थी ! परिस्थितियों को देखकर साफ जाहिर है कि ये मेरे साथ मेरे पति का देहान्त होते ही सोची समझी चाल है ! चालें तो पति के रहते भी बहुत चली गई ! मगर इतना बुरा नहीं कर पाए !
बहरहाल बुज़ुर्ग शिक्षिका को अभी तक इंसाफ की उम्मीद है और इसी आस पर वे सरकार से न्याय की मांग कर रही हैं।
अब देखना ये होगा कि उनको इंसाफ कब मिलेगा और शासन से उनकी ये सीधी लड़ाई क्या रंग लाएगी।