शीतकालीन सत्र के हंगामेदार रहने के आसार
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र मंगलवार से प्रारंभ होने जा रहा है। तीन दिन तक चलने वाले सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं। इसमें अनुपूरक विधेयक समेत दो विधेयक पेश होंगे। विधायकों ने सत्र के लिए 350 तारांकित-अतारांकित प्रश्न लगाए हैं। पहले दिन पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी को श्रद्धांजलि दी जाएगी। साथ ही अनुपूरक विधेयक सदन के पटल पर रखा जाएगा। दूसरी तरफ, भाजपा और कांगेस ने सत्र के लिए रणनीति तय की है। कांग्रेस जहां, प्रदेश की कानून व्यवस्था, गैरसैंण राजधानी, भाजपा नेता के खिलाफ उत्पीड़न के आरोप के बाद भी कार्रवाई न होने जैसे मुद्दों को लेकर सरकार को घेरेगी, वहीं सरकार ने भी विपक्ष के हमलों का जवाब देने को कार्ययोजना तैयार की है। हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में विपक्ष की ओर से सदन को चलाने में सहयोग देने का भरोसा दिलाया गया।
राज्य की चतुर्थ विधानसभा के शीतकालीन सत्र को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सोमवार शाम को विस अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने विस परिसर और सभा मंडल में तैयारियों का जायजा लिया।
इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को आवश्यक निर्देश भी दिए। पत्रकारों से बातचीत में विस अध्यक्ष ने बताया कि तीन दिन तक चलने वाले सत्र के लिए विधायकों ने 350 प्रश्न लगाए हैं, जबकि 107 याचिकाएं प्रस्तुत की गई हैं। पांच याचिकाएं लंबित हैं। उन्होंने बताया कि सत्र के दौरान अनुपूरक विधेयक और उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं व्यवस्था अधिनियम) संशोधन अधिनियम-2018 अध्यादेश को सदन के पटल पर रखा जाना है। इस बीच सोमवार को दोपहर बाद विस की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक हुई, जिसमें मंगलवार के कार्यक्रम तय किए गए।
बताया गया कि पहले दिन अनुपूरक विधेयक को सदन के पटल पर प्रस्तुत किया जाएगा। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी को श्रद्धांजलि दी जाएगी। बैठक में विस अध्यक्ष अग्रवाल के अलावा विस उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान, संसदीय कार्यमंत्री प्रकाश पंत, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश, विधायक खजानदास व प्रीतम सिंह शामिल थे।
इससे पहले सर्वदलीय बैठक भी हुई, जिसमें सदन को व्यवस्थित ढंग से चलाने पर चर्चा की गई। दूसरी तरफ, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सत्र में सरकार को घेरने के लिए सोमवार को कांग्रेस विधानमंडल दल की बैठक में अपनी रणनीति को भी अंतिम रूप दिया। यही नहीं, भाजपा विधानमंडल दल की भी शाम को बैठक हुई, जिसमें विपक्ष के हमलों का मुस्तैदी से जवाब देने की रणनीति तय की गई।