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‘तीन बार तलाक’ पवित्र कुरान की भावना के विपरीत है : उच्च न्यायालय
इलाहाबाद। ‘‘तीन बार तलाक’’ देने की प्रथा पर प्रहार करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि इस तरह से ‘‘तुरंत तलाक’’ देना ‘‘नृशंस’’ और ‘‘सबसे ज्यादा अपमानजनक’’ है जो ‘‘भारत को एक राष्ट्र बनाने में ‘बाधक’ और पीछे ढकेलने वाला है।’’
न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की एकल पीठ ने पिछले महीने अपने फैसले में कहा, ‘‘भारत में मुस्लिम कानून पैगम्बर या पवित्र कुरान की भावना के विपरीत है और यही भ्रांति पत्नी को तलाक देने के कानून का क्षरण करती है।’’
अदालत ने टिप्पणी की कि ‘‘इस्लाम में तलाक केवल अति आपात स्थिति में ही देने की अनुमति है। जब मेल-मिलाप के सारे प्रयास विफल हो जाते हैं तो दोनों पक्ष तलाक या खोला के माध्यम से शादी खत्म करने की प्रक्रिया की तरफ बढ़ते हैं।’’