नाबालिग को बहला-फुसलाकर कर दुष्कर्म के आरोपी को कोर्ट ने किया बरी, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून। नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर कर दुष्कर्म के आरोपी को कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया। कोर्ट ने वादी (पीड़ित) पक्ष की ओर से प्रस्तुत किये गए बयानों और सबूतों में काफी विरोधाभास पाने के बाद ये फैसला सुनाया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार देहरादून निवासी एक महिला ने 24 जून 2021 को पटेल नगर कोतवाली में अपनी नाबालिग पुत्री की गुमशुदगी दर्ज करवाते हुए प्रियांशु पुत्र संजय रस्तोगी, निवासी संजय कॉलोनी पटेल नगर पर अपनी नाबालिग पुत्री को बहला-फुसलाकर दुष्कर्म करने का नामजद आरोप लगाया था।
वादिनी की तहरीर के आधार पर पुलिस ने पटेलनगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया। पुलिस के द्वारा आरोपी के विरुद्ध पॉस्को एक्ट में मुकदमा संख्या 311/2021 अंतर्गत धारा 363, 376, 504 व 506 भारतीय दंड संहिता 1860 एवं 5ठ/6 के तहत दर्ज कर आरोप पत्र न्यायालय के समक्ष प्रेषित किया गया।
उक्त मुकदमा माननीय न्यायालय के फास्टट्रैक कोर्ट/अपर जिला एवं सेशन जज देहरादून अश्विन गौड़ (उच्चतर न्यायिक सेवा) के द्वारा सुना जा रहा था। मुकदमे में राज्य सरकार की ओर से परिवादी सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फ़ौ0) किशोर कुमार एवं अभियुक्त पक्ष की ओर से विद्वान अधिवक्ता अमित त्यागी एवं शीना मेहता ने मुकदमा लड़ा।
मुकदमें के दौरान अधिवक्ता अमित त्यागी एवं शीना मेहता ने अभियुक्त प्रियांशु की ओर से मजबूत दलीलें कोर्ट के समक्ष साक्ष्यों के साथ प्रस्तुत की। कईं बार की ज़िरह और तगड़ी बहस के बाद कोर्ट ने पीड़ित (वादी) पक्ष की ओर से न्यायालय में पेश किए गए साक्ष्यों और बयानों में काफी अंतर एवँ विरोधाभास पाया।
उक्त आधार पर माननीय न्यायालय के फास्टट्रैक कोर्ट/अपर जिला एवं सेशन जज देहरादून अश्विन गौड़ (उच्चतर न्यायिक सेवा) के द्वारा अभियुक्त प्रियांशु को राहत देते हुए उक्त सभी गंभीर आरोपों से बरी कर दिया। कोर्ट ने अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि मात्र संदेह एवं संभावनाओं के आधार पर दोष सिद्ध नहीं किया जा सकता।
साथ ही कोर्ट ने अपने निर्णय में यह भी कहा कि उपरोक्त विश्लेषण से ये स्पष्ट होता है कि अभियुक्त प्रियांशु के विरुद्ध धारा 363, 376, 504 व 506 भारतीय दंड संहिता 1860 एवं 5ठ/6 के तहत लैंगिक अपराधों से संरक्षण अधिनियम 2012 के आरोप को अधियुक्तियुक्त संदेह से परे सिद्ध करने में असफल रहा है। जिसके चलते अभियुक्त प्रियांशु पर लगाए गए सभी आरोप दोषमुक्त किये जाने योग्य हैं।