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शहीद दिवस पर गांधी पार्क में आयोजित किया गया श्रद्धांजलि कार्यक्रम

वरिष्ठ नागरिकों की मांग थी कि गांधी पार्क में शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव की प्रतिमा नगर निगम की ओर से लगाई जाय।

देहरादून। माँ भारती के वीर सपूतों एवं देश के अमर शहीद, भगतसिंह, राजगुरु एवं सुखदेव के बलिदान दिवस 23 मार्च को देशभर में ‘शहीद दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर शहीदों की याद में संयुक्त नागरिक संगठन तथा स्वतंत्रता सेनानी एवं उत्तराधिकारी कल्याण समिति द्वारा देहरादून के गाँधी पार्क में एक कार्यक्रम आयोजित कर देश के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर नगर के वरिष्ठजनों एवं बुद्धिजीवियों ने भारत माँ के अमर सपूतों को श्रद्धासुमन अर्पित कर सादर नमन किया।

इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाते हुए फांसी के तख्ते पर मौत को गले लगाने वाले क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव की शहादत ने, अंग्रेजों की गुलामी के खात्मे का बिगुल बजा दिया था। बहरो को आवाज सुनाने के लिए धमाकों की जरूरत थी ये शब्द उन परचो में लिखे गए थे जो 96 साल पहले असेंबली में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने फेंक कर अंग्रेजी हुकूमत को दहला दिया था जिसकी गूंज लंदन तक पहुंची थी। कुछ इसी तरह के उद्गार गांधी पार्क में आयोजित श्रद्धांजली कार्यक्रम में व्यक्त किए गए।

कार्यक्रम का आयोजन संयुक्त नागरिक संगठन तथा स्वतंत्रता सेनानी एवं उत्तराधिकारी कल्याण समिति द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था, जिसमें सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। वक्ताओं ने कहा कि भगत सिंह का कहना था कि मैं क्रांतिकारी हूं बेड़ियों में जकड़कर नहीं मरूंगा, क्रांति की ज्वाला बनाकर मरूंगा, अंग्रेज मुझे मार सकते हैं मेरे विचारों को नहीं। इन यादों को संजोकर रखा जाना जरूरी है जो भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बने।

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वरिष्ठ नागरिकों की मांग थी कि गांधी पार्क में शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव की प्रतिमा नगर निगम की ओर से लगाई जाय।सामाजिक संस्थाओं के लोगों के जज्बात थे की पर्यावरण संरक्षण, नशा मुक्ति अभियान, निशुल्क चिकित्सा अभियान, नेत्रदान देहदान, दिव्यांगों के कल्याण, ब्लड डोनेशन, बुक डोनेशन, बालकों को निशुल्क शिक्षा सुविधा, स्वच्छता तथा सफाई, भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष जैसे जागरूकता व जनहितों के कार्यों में समर्पण भी देशभक्ति का स्वरूप है। सांप्रदायिक सौहार्द, एकजुटता, पारस्परिक प्रेम व मित्रता की भावनाओं को मजबूत बनाने के लिए हमें आज भी भगत सिंह जैसे देशभक्तों की जरूरत है। शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित कर उनकी याद में 2 मिनट मौन रखकर श्रद्धांजलि देते हुए इन उद्गारों के साथ “शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशा होगा” कार्यक्रम का समापन किया गया।

इस अवसर पर एल आर कोठियाल, एस एस गोसाई, शशांक गुप्ता, खुशबीर सिंह, नरेश चंद्र कुलाश्री, ब्रिगेडियर केजी बहल, सुशील त्यागी, लेफ्टिनेंट कर्नल बी एम थापा, बीपी सुंदरियाल, वाई पीएस रावत, कर्नल बी एम गंभीर, जगदीश बावला, अनिल कुमार, जीएस जस्सल, राकेश थपलियाल, विकास खन्ना, एम एस रावत, अवधेश शर्मा, अशालाल, डीपी थपड़ियाल, नवीन नैथानी, मनोज ध्यानी, एसपी डिमरी, आशा नौटियाल, प्रकाश नागिया, कुसुम धस्माना, शैलेश सकलानी, संदीप उनियाल, आर के अग्रवाल आदि शामिल थे। कार्यक्रम का संचालन मुकेश नारायण शर्मा ने किया।

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