Breaking NewsUttarakhand

उत्तराखंड विधानसभा में ध्वनि मत से पास हुआ UCC विधेयक, सीएम धामी ने कही ये बड़ी बात

उत्तराखंड विधानसभा में ध्वनि मत से UCC विधेयक पास हो गया है। सीएम धामी ने विधानसभा में बताया है कि हमने संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत वर्णित हमारी अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा है।

देहरादून। लंबी चर्चा के बाद उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता यानी कि UCC विधेयक को पास कर दिया गया है। विधानसभा में ध्वनि मत के माध्यम से इस विधेयक को पास किया गया है। विधेयक के पास होते ही विधानसभा में विधानसभा में जय श्रीराम और वंदे मातरम के नारे लगे। विधेयक पास होने के बाद अब जल्द ही कानून में बदल जाएगा। राज्य के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को विधानसभा के विशेष सत्र में विस्तार से इस UCC विधेयक पर जानकारी साझा की है। आइए जानते हैं कि उन्होंने यूसीसी के बारे में क्या कुछ कहा है।

ये कोई सामान्य विधेयक नहीं है- सीएम धामी

राज्य के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ये कोई सामान्य विधेयक नहीं है, भारत बड़ा देश है लेकिन देश को दिशा देने का ये अवसर देवभूमि को मिला है। उन्होंने कहा कि UCC के इस विधेयक में समान नागरिक संहिता के अंतर्गत जाति, धर्म, क्षेत्र व लिंग के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है। सीएम ने कहा कि विपक्ष के लोग कह रहे है कि हमे यूसीसी ड्राफ्ट की जानकारी नहीं मिली, तो हम आपको रिसीविंग के कागज दिखा रहे हैं। कमेटी ने सबको जानकारी भेजी है। उत्तराखंड की 10 फीसद जनता ने इस पर अपनी राय दी है।

हमने संस्कृति को बचाने का काम किया- सीएम धामी

सीएम धामी ने विधानसभा में बताया है कि हमने संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत वर्णित हमारी अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा है, जिससे उन जनजातियों का और उनके रीति रिवाजों का संरक्षण किया जा सके। इस संहिता में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि विवाह केवल और केवल एक पुरुष व एक महिला के मध्य ही हो सकता है। ऐसा करके हमने समाज को एक स्पष्टता देने व देश की संस्कृति को भी बचाने का काम किया है।

पीएम मोदी के नेतृत्व में देश ऐतिहासिक गलतियां सुधार रहे

हमारे देश के प्रधानमंत्री राष्ट्रऋषि श्री नरेन्द्र मोदी जी विकसित भारत का सपना देख रहे हैं। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रही है। उनके नेतृत्व में यह देश तीन तलाक और धारा-370 जैसी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के पथ पर है। समान नागरिक संहिता का  विधेयक आदरणीय प्रधानमंत्री जी द्वारा देश को विकसित, संगठित, समरस और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए किए जा रहे महान यज्ञ में हमारे प्रदेश द्वारा अर्पित की गई एक आहुति मात्र है।

UCC के इस विधेयक में समान नागरिक संहिता के अंतर्गत जाति, धर्म, क्षेत्र व लिंग के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है।

तुष्टिकरण की राजनीति करती रही विपक्ष

सीएम धामी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि आखिर क्यों आजादी के बाद 60 सालों से अधिक समय तक राज करने वाले लोगों ने समान नागरिक संहिता को लागू करने के बारें में विचार तक नहीं किया। वे राष्ट्रनीति को भूलकर सिर्फ और सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति करते रहे। हमारी माताओं-बहनों के इंतजार की घड़िया अब समाप्त होने जा रही हैं। उत्तराखण्ड इसका साक्षी बनने जा रहा है जिसके निर्माण के लिए इस प्रदेश की मातृशक्ति ने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। हमारी सरकार का यह कदम संविधान में लिखित नीति और  सिद्धांत के अनुरूप है। यह महिला सुरक्षा तथा महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण अध्याय है।

UCC सभी को बराबरी का अधिकार देगा

सीएम धामी ने बताया कि समान नागरिक संहिता, विवाह, भरण-पोषण, गोद लेने, उत्तराधिकार, विवाह विच्छेद जैसे मामलों में भेदभाव न करते हुए सभी को बराबरी का अधिकार देगा। यही प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार भी है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के शब्दों में कहा कि यही समय है, सही समय है। अब समय आ गया है कि महिलाओं के साथ होने वाले अत्यचारों को रोका जाए। आजादी से पहले हमारे देश में जो शासन व्यवस्था थी, उसकी सिर्फ एक ही नीति थी और वो नीति थी फूट डालो और राज करो। अपनी उसी नीति को अपनाकर उन्होंने कभी भी सबके लिए समान कानून का निर्माण नहीं होने दिया।

मां गंगा और श्रीराम का जिक्र

सीएम धामी ने विधानसभा में कहा कि उत्तराखंड से निकलने वाली मां गंगा जैसे सबको राहत देती है। वैसे ही ये उत्तराखंड में बना ये कानून मील का पत्थर साबित होगा, यूसीसी को लेकर जो संकल्प हमने लिया था वो आज सिद्धि तक पहुंच रहा है। हमे वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर समानता के लिए काम करना है जैसे भगवान श्री राम ने किया। जिस प्रकार से इस देवभूमि से निकलने वाली मां गंगा अपने किनारे बसे सभी प्राणियों को बिना भेदभाव के अभिसिंचित करती है, इस सदन से निकलने वाली समान अधिकारों की ये गंगा हमारे सभी नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करेगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button