यदि आप भी हैं तैराकी के शौकिन तो सावधान, कहीं इस बीमारी की जद में तो नहीं !
गर्मियां दस्तक दे चुकी हैं। कई लोगों को गर्मियों का मौसम बहुत पसंद होता है खासकर उन लोगों को जिन्हें स्वीमिंग करना बहुत पसंद होता है। मगर अपने तैराकी के इस शौक के चलते वो किसी बीमारी की चपेट में आ जायें तो ये बात काफी हैरान करती है। दरअसल फिट रहने के लिए सबके अपने-अपने तरीके होते हैं। कोई जिम में पसीना बहाता है तो सारा ध्यान डाइट पर देता है। बहुत से लोगों के लिए तैराकी भी फिटनेस मंत्र है। ये शरीर को मजबूती देने के साथ इमोशनल मैनेजमेंट भी करता है। वहीं तैराकी में कई छोटी-मोटी भूलें कानों की सेहत खराब कर सकती हैं। जानें, क्या हैं वे नुकसान और कैसे बचा जा सकता है:-
होता है डर:
पानी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया कानों की बाहरी सतह का संक्रमण दे सकते हैं। इस बीमारी को स्विमर्स ईयर भी कहा जाता है। पढ़ने-सुनने में मजेदार लगने वाली इस समस्या की अनदेखी न केवल दर्द व अस्थायी बहरापन, बल्कि कई बार मस्तिष्क को भी नुकसान पहुंचाती है। अगर आप भी फिटनेस के लिए तैराकी करते हैं और कानों में खुजलाहट या जलन महसूस हो रही हो तो अनदेखी न करें और डॉक्टर से मिलें ताकि तैराकी का मजा बना रहे।
ऐसे होती है बीमारी:
इसमें कानों के बाहरी हिस्से में सूजन, जलन और दर्द होता है। कानों को प्रोटेक्ट करने वाली बाहरी सतह कई बार धूल-मिट्टी, रेत या पानी जाने से हट जाती है। इससे कानों में सूजन आ जाती है और दर्द रहता है। आमतौर पर पानी या मिट्टी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया इसकी वजह होते हैं लेकिन कई बार फंगस व विषाणु भी इंफेक्शन की वजह बनते हैं।
न करें अनदेखी:
संक्रमण को शुरुआती अवस्था में ही पहचान लें तो बेहतर वरना यह गंभीर रूप ले सकता है। इसके शुरुआती लक्षणों में कानों में खुजलाहट, हल्की सी लाली, कानों को छूने पर सनसनाहट तथा इससे पारदर्शी, गंधरहित पानी निकलना शामिल हैं। संक्रमण बढ़ने पर इन सारे लक्षणों में बढ़ोत्तरी के साथ ही कानों से मवाद आना, सुनने की क्षमता घटना जैसी बातें होती हैं। तेज दर्द कानों से होते हुए चेहरे और गर्दन तक फैल जाता है एवं मरीज को बुखार भी आता है।