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उत्तराखंड की पांचों सीटों पर भाजपा का कब्जा

देहरादून। उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा हो गया है। बंपर जीत के साथ पार्टी ने अब तक का सर्वाधिक मत प्रतिशत हासिल करने का रिकार्ड भी रच दिया है। मोदी लहर में भाजपा को 60.7 प्रतिशत मत मिले, जो वर्ष 2014 के मुकाबले पांच प्रतिशत अधिक हैं। जबकि कांग्रेस का वोट शेयर तीन प्रतिशत घटा है। नैनीताल सीट से भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट ने कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत को 339096 वोटों से मात दी।
वहीं हरिद्वार सीट से भाजपा प्रत्याशी रमेश पोखरियाल निशंक ने 258729 वोट से जीत दर्ज की। वहीं पौड़ी गढ़वाल सीट पर भाजपा से तीरथ सिंह रावत ने 302669 मतों से कांग्रेस प्रत्याशी मनीष खंडूूडी को मात दी। वहीं टिहरी सीट पर भाजपा प्रत्याशी मामला राज्य लक्ष्मी शाह ने 300586 वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी प्रीतम सिंह को मात दी। अल्मोड़ा सीट पर भाजपा के प्रत्याशी अजय टम्टा ने 232986 वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा को मात दी।

हरिद्वार सीट पर भाजपा के प्रत्याशी रमेश पोखरियाल निशंक को 665674 वोट और कांग्रेस प्रत्याशी अंबरीष कुमार को 406945 वोट मिले हैं।

पौड़ी सीट से भाजपा प्रत्याशी तीरथ सिंह रावत 506980 वोट और कांग्रेस प्रत्याशी मनीष खंडूड़ी 204311 वोट मिले हैं।
टिहरी सीट पर भाजपा प्रत्याशी माला राज्य लक्ष्मी शाह 565333 और कांग्रेस प्रत्याशी प्रीतम सिंह 264747 वोट मिले हैं।
नैनीताल सीट पर भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट को 772195  वोट और कांग्रेय प्रत्याशी हरीश रावत को 433099  वोट मिले हैं।
अल्मोड़ा सीट पर भाजपा प्रत्याशी अजय टमटा 444651 और कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टमटा 211665 वोट मिले हैं।

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पौड़ी : भाजपा को दूसरी बड़ी जीत गढ़वाल में मिली। यहां पार्टी ने सांसद बीसी खंडूड़ी के चुनाव लड़ने से इनकार करने पर उनके राजनीतिक शिष्य तीरथ सिंह रावत पर विश्वास जताया। विस चुनाव में तीरथ ने टिकट काटने के बाद भी पार्टी में आस्था जताई थी, इसी का ईनाम उन्हें मिला। तीरथ के सामने उनके राजनीतिक गुरु बीसी खंडूड़ी के ही पुत्र मनीष खडूड़ी को कांग्रेस ने टिकट दिया था। गुरु शिष्य और गुरु पुत्र के बीच की इस जंग से बीसी खंडूड़ी दूर रहे, इसका नुकसान पुत्र मनीष को हुआ। सैनिकों और पूर्व सैनिकों की सर्वाधिक संख्या वाली सीट पौड़ी पर राष्ट्रवाद का मुद्दा सर्वाधिक हावी रहा।

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नैनीताल : इस से पार्टी ने प्रदेश में अपने सबसे बड़े चेहरे हरीश रावत को उतारा। रावत पहले हरिद्वार से दावेदार थे, लेकिन अंतिम समय में भाजपा के नैनीताल से प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को उतार कर हरीश रावत ने जिद कर नैनीताल का टिकट ले लिया। कांग्रेस की प्रदेश में करारी हार के कारणों में बड़ी वजह हरीश रावत का नैनीताल पलायन भी माना जा रहा है। इससे दो ओर सीटों हरिद्वार और अल्मोड़ा का समीकरण बिगड़ गया।

नतीजा यह हुआ कि प्रदेश में सबसे बड़ी हार हरीश रावत को झेलनी पड़ी। उनके सारे गणित गड़बड़ा गए और करीब सवा तीन लाख मतों के अंतर से भट्ट ने उन्हें मात दी। भट्ट की लोकसभा चुनाव में पहली जीत का बड़ा कारण संगठन की पूरी ताकत झोंकने के साथ भगत सिंह कोश्यारी का साथ भी रहा।
टिहरी: टिहरी में भाजपा प्रत्याशी माला राज्य लक्ष्मी शाह की जीत राष्ट्रवाद के साथ जनता की राजपरिवार के प्रति आस्था प्रतीत हो रही है। माला के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह रवाईं जौनसार में अपनी मजबूत पकड़ के बावजूद करीब तीन लाख वोटों से हारे। तीसरी बार कांग्रेस की टिहरी में हार ने एक बार फिर साबित किया है कि राजपरिवार का वर्चस्व बरकरार है।
हरिद्वार: इस सीट पर भाजपा के रमेश पोखरियाल निशंक और कांग्रेस के अंबरीश कुमार में मुकाबला एकतरफा रहा। यहां अल्पसंख्यक वोटों के बावजूद कांग्रेस खास नहीं कर पाई। भाजपा को राष्ट्रवाद के साथ हिंदुत्व का फायदा इस सीट पर मिला है। इसी के चलते निशंक ने पिछली बार के मुकाबले अपनी जीत के अंतर का रिकार्ड सुधार लिया है।
अल्मोड़ा: यहाँ भाजपा प्रत्याशी और केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री अजय टम्टा के खिलाफ चुनावों की शुरुआत में सत्ता विरोधी लहर थी, लेकिन भाजपा की संगठनात्मक ताकत ने अजय को जीत दिलवा दी। हरीश रावत के नैनीताल से लड़ने के चलते कांग्रेस के अल्मोड़ा प्रत्याशी प्रदीप टम्टा को नुकसान पहुंचा। अल्मोड़ा हरीश की पुरानी सीट है, जिसके चलते नैनीताल में हरीश के पक्ष में प्रचार करने के लिए बड़ी संख्या में कांग्रेस अल्मोड़ा से पहुंचे। इससे प्रदीप का नेटवर्क कमजोर पड़ गया।

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