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सत्रह साल बाद निकाली गोपाल राय की गोली

लखनऊ। सत्रह साल बाद दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री गोपाल राय को ‘गोली’ से निजात मिल ही गई। दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में शुक्रवार को उनका जटिल ऑपरेशन कर रीढ़ की हड्डी में फंसी गोली शरीर से बाहर निकाल ली गई। रीढ़ की हड्डी के स्पेशलिस्ट सीनियर सर्जन डॉ. आरजी कृष्णन ने उनका सफल ऑपरेशन किया। गोपाल राय के शरीर में यह गोली 1999 से फंसी हुई थी।

लखनऊ विश्वविद्यालय से निष्कासित किए जाने पर बौखलाए एक गुट ने 18 जनवरी 1999 को गोपाल राय को गोली मार दी थी। यह गोली उनकी रीढ़ की हड्डी में जा फंसी। इस हमले में राय बच तो गए लेकिन गर्दन के नीचे का हिस्सा निष्क्रिय हो गया था। तब चिकित्सकों ने रीढ़ में फंसी गोली को निकालने में राय की जान को खतरा बताया था। उस समय इस ऑपरेशन को बेहद जटिल व खर्चीला माना जाता था।

डॉक्टरों की राय के बाद राय ने तब गोली निकलवाने का ख्याल छोड़ दिया था। अचानक तकलीफ बढ़ने पर राय ने अपोलो के डॉक्टरों से मशविरा लिया। तमाम जांचों के बाद डॉक्टरों ने उन्हें ऑपरेशन के लिए हरी झंडी दे दी। शुक्रवार को उनका ऑपरेशन किया गया। दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग उनका हाल चाल लेने अपोलो हॉस्पिटल पहुंचे।

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