Uttarakhand

जंगल में लगी आग पर हाईकोर्ट सख्त

नैनीताल। हाई कोर्ट ने राज्य में जंगल की आग पर केंद्र और राज्य सरकार से छह मई तक विस्तृत जवाब मांगा है। इस मामले में अब अगली सुनवाई नौ मई को होगी। कोर्ट ने जंगल की आग को संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई का फैसला लिया था। साथ ही वन विभाग और राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा था।
आज मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ और न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की खंडपीठ मामले में मामले की सुनवाई की गई। राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को आग बुझाने के लिए किए जा रहे उपायों की जानकारी दी गई। इस पर कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ।
हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए कि जंगलों में चाल खाल का निर्माण किया जाए। साथ ही अधिवक्ता राजीव बिष्ट को दावानल संबंधी जनहित याचिका के लिए विशेष पैरवीकार नियुक्त किया गया।
हाई कोर्ट ने के सवाल :-
-नासा की जो वेबसाइट आग दुर्घटना प्रभावित इलाकों पर नजर रखती है, क्या इसकी यूनिट उत्तराखंड में है।
-यदि है तो यूनिट ने क्या काम किया। यदि नहीं तो क्यों नहीं।
-आग बुझाने में लगे कर्मियों को प्रतिदिन मात्र 162 रुपये क्यों दिए जा रहे हैं। इससे अधिक क्यों नहीं।
-आग से कितने पेड़ जले, कितना इलाका प्रभावित है।
-2005 की राज्य आपदा प्रबंधन नीति और केंद्र की नीति में क्या है अंतर।

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