देहरादून शहर की हवा में जहर घोल रहे विक्रम
देहरादून। देहरादून शहर की आम जनता की सहुलियतों को ध्यान में रखकर सड़कों पर उतारे गये तिपहिया वाहन ‘विक्रम’ आज आम जनता के लिए मुसीबत का सबब बनते जा रहे हैं। गौरतलब है कि देहरादून की सड़कों पर हजारों विक्रम दिनभर दौड़ लगाते हैं और साथ ही शहर की सड़कों पर जाम को भी अंजाम देते हैं। बात सिर्फ जाम तक ही सीमित होती तो भी बर्दाश्त् किया जा सकता था मगर ये तो जान पर बन आने वाली बात हो गई, काबिलेगौर है कि देहरादून में इन दिनों हजारों विक्रम अपने काले धुएं से शहर की आबोहवा में जहर घोल इसे दूषित कर रहे हैं। जो सुन्दर देहरादून शहर की खूबसूरती पर एक बदनुमा दाग की तरह है।
यदि सूत्रों की मानें तो देहरादून में इन दिनों हजारों ऐसे विक्रम धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं जिनकी फिटनेस और प्रदूषण जांच करना या कराना ना तो परिवहन विभाग के अधिकारी ही चाहते हैं और ना ही स्वयं विक्रम स्वामी। महज थोड़े से लालच की वजह से ये विक्रम स्वामी शहर वासियों को जहर परोस रहे हैं। बताते चलें कि देहरादून में शहर के बीचों-बीच और ग्रामीण क्षेत्रों में कई ऐसे विक्रमों का संचालन किया जा रहा है जिनके पास परमिट तक नहीं है फिर भला उनके पास फिटनेस प्रमाणपत्रा का ना होना तो स्वभाविक ही है। परिवहन विभाग की लापरवाही के चलते ये विक्रम धड़ल्ले से दून के वातावरण को दूषित करने की कवायद में जुटे हैं। बताते चलें कि परिवहन विभाग के द्वारा पूर्व में विक्रमों में स्क्रबर लगवाने की बातें कही गई थी जिससे दून का वातावरण दूषित ना हो पाये मगर कुछ समय बाद ही विक्रम चालकों द्वारा विभाग के इन आदेशों को काले धुएं के साथ हवा में उड़ा दिया गया। फलस्वरूप आज भी काला धुंआ मुंह पर छोड़ते हुए विक्रम सड़कों पर दौड़ रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार घण्टाघर के समीप चारों ओर से आने वाले विक्रमों के धुएं के गुबार के कारण यहां की प्रदूषण की माप पहले की अपेक्षा काफी अधिक बढ़ गई है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में देहरादून शहर को देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल किया गया है। इसका श्रेय काफी हद तक इन विक्रमों को ही जाता है। फिर भी प्रशासन के द्वारा इन वाहनों को घण्टाघर के समीप तक आने की अनुमती प्रदान की गई है। संख्या से अधिक सवारियां बैठाना और तेज रफ्तार के साथ बड़े वाहनों को ओवरटेक करते हुए दौड़ लगाना इन विक्रमों का स्टाइल बन चुका है। बहरहाल विभागीय लापरवाही और विक्रम चालकों की मनमानी के चलते दूनवासी रोजाना दूषित हवा में सांस लेने को मजबूर हैं।