अधर में लटका सुभारती के द्वितीय वर्ष के छात्रों का भविष्य
देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून स्थित सुभारती मेडिकल कॉलेज के द्वितीय वर्ष के छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। आपको बता दें कि 150 छात्र सुभारती मेडिकल कॉलेज, कोटडा संतौर, चंदा की चौकी प्रेमनगर देहरादून से एमबीबीएस की द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रहे थे जोकि रासबिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय से एफिलिएटिड है। यह विश्वविद्यालय उत्तराखण्ड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम (उत्तराखण्ड सरकार एक्ट 35 ऑफ 2016) एवं महामहिम राज्यपाल के गैजेट नोटिफिकेशन से स्थापित है।
छात्रों का राज्य सरकार द्वारा करवाई गई नीट कांउसलिंग के माध्यम से वर्ष 2016 में उक्त कॉलेज में प्रवेश हुआ था एवं वर्ष 2017 में प्रथम वर्ष की परीक्षा उत्तीर्ण की गई। मार्च 2019 में द्वितीय प्रोफेशनल परीक्षाएं होनी थी। दिनांक 23.01.2019 को माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा “सुभारती मेडिकल कॉलेज को बंद कर द्वितीय वर्ष के छात्रों को राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों में स्थानांतरित किए जाने के पश्चात् उन्हें प्रथम वर्ष की परीक्षा उन्हें संबंधित कॉलेजों या विश्वविद्यालय से देनी होगी” का अहम निर्णय सुनाया।
बताते चलें कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया रासबिहारी बोस विश्वविद्यालय द्वारा ली गई परीक्षा को मान्यता नहीं दे रहा हैं। विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा बताया गया कि यदि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, राज्य सरकार या हेमवती नंदन बहुगुणा मेडिकल यूनिवर्सिटी को हमारी परीक्षा से कोई परेशानी थी तो हमें 2017 में ही सूचित करना था। कॉलेज की मान्यता या एफीलिएशन किस विश्वविद्यालय से होनी चाहिए यह विषय पूर्ण रूप से कॉलेज, राज्य सरकार व एमसीआई से संबंधित है। इसमें हम छात्रों का कोई दोष नहीं है।
सुभारती मेडिकल कॉलेज के प्रथम वर्ष 2016 की सुनिश्चिता की पृष्टि इस बात से भी होती है की मेडिकल कॉलेज को 2017 में 150 नए छात्रों को एमबीबीएस प्रथम वर्ष में प्रवेश की अनुमति मिली। उपरोक्त विषय में राज्य सरकार से प्रार्थना है कि छात्र हित को ध्यान में रखते हुए व छात्रों का कोई भी दोष ना होते हुए, छात्रों को रास बिहारी बोस विश्वविद्यालय द्वारा ली गई प्रथम वर्ष की परीक्षा की मान्यता राज्य के हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा विश्वविद्यालय से कराने की बात की। जिससे 150 छात्रों का भविष्य सुरक्षित हो सके।