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उत्तराखंड में बारिश के चलते 72 घंटे का अलर्ट

देहरादून। राजधानी दून में रविवार दोपहर से शुरु हुई बारिश सोमवार को भी जारी है। कमोबेश यही सूरत-ए-हाल पूरे प्रदेश में नज़र आ रहा है। लगातार हो रही बारिश के चलते अब राज्य के मौसम विभाग ने 72 घंटे का अलर्ट जारी किया है। बताते चलें कि उत्तराखंड में अगले 72 घंटे मानसून का मिजाज भारी पड़ सकता है।

मौसम विभाग ने इस दौरान देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, नैनीताल व ऊधमसिंहनगर जनपदों में कहीं-कहीं 65 से 204 मिमी तक वर्षा की संभावना को देखते हुए अलर्ट भी जारी किया है। वहीं, मौसम विभाग की चेतावनी के मद्देनजर प्रशासन भी सतर्क हो गया है। पौड़ी जिले में प्रशासन ने सोमवार को स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया है। इस बीच उत्तराखंड के अधिकांश हिस्सों में बारिश हो रही है। वहीं, चारधाम यात्रा मार्गों के खुलने और बंद होने का सिलसिला जारी है।

राज्य में वर्षा ने दिक्कतें बढ़ा रखी है। खासकर चारधाम यात्रा मार्गों पर। चमोली में गत रात से लगातार हो रही बारिश के चलते बदरीनाथ हाईवे लामबगड़ में अवरुद्ध है। चोपता-केदारनाथ हाईवे भी गोपेश्वर मंडल में भूस्खलन से दो जगह बंद है। कर्णप्रयाग-ग्वालदम हाडवे भी नारायणबगड़ के पास अवरुद्ध है। रुद्रप्रयाग में भी सुबह से बारिश के दौर जारी है। वहीं रुद्रप्रयाग-केदारनाथ मार्ग सुचारू है, लेकिन श्रीनगर से पहले कौडियाला में मलबा बाने से बदरीनाथ हाईवे बंद पड़ा है। इससे श्रीनगर और रुद्रप्रयाग तक भी यात्री नहीं पहुंच पा रहे हैं।

उत्तरकाशी में दो दिन से लगातार बारिश के चलते गंगोत्री नेशनल हाईवे थिरांग, सोन गाड में और यमुनोत्री हाईवे ओजरी, बढ़िया के पास भूस्खळन से बंद हो गया। इस मार्ग पर देविधार रेणुबास के पास पहाड़ी से पत्थर गिर रहे हैं।

वहीं, देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार के साथ ही गढ़वाल व कुमाऊं मंडल के अधिकांश स्थानों पर बारिश हो रही है। पिथौरागढ़ के सानीखेत गांव में भू-धंसाव के चलते 14 घर खतरे की जद में हैं। प्रशासन ने इन परिवारों को गांव छोड़ अन्यत्र शिफ्ट होने का नोटिस थमाया है। गांव में राजस्व विभाग की टीम तैनात कर दी गई है। वहीं, बारिश के चलते टनकपुर-तवाघाट हाईवे दो जगह लखनपुर और दौबाट में बंद हो गया है।

मौसम विज्ञान केंद्र, देहरादून के निदेशक विक्रम सिंह के मुताबिक कि अगले तीन दिन समूचे राज्य में जोरदार वर्षा के आसार है। पांच जिलों में बहुत भारी वर्षा की भी संभावना है। सूरतेहाल, पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन और मैदानी इलाकों में जलभराव की दिक्कत आ सकती है। लिहाजा, सावधानी बरतने और सतर्क रहने की जरूरत है

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