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उत्तराखंड में गरमाया अग्निवीर मुद्दा, लोकसभा चुनाव में पकड़ी रफ्तार

इस लोकसभा चुनाव में अग्निवीर योजना का मुद्दा गरमाया हुआ है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इसे लेकर हमलावर है। वहीं, भाजपा इस पर सफाई देते हुए योजना को बेहतर बता रही है।

देहरादून। सैनिक बहुल प्रदेश उत्तराखंड में पूर्व सैनिकों को बड़ा वोट बैंक माना जाता है। यही वजह है कि भाजपा और कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दल पूर्व सैनिकों को रिझाने का प्रयास करते रहे हैं। भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले शहीद सम्मान यात्रा निकाल चुकी है तो कांग्रेस की ओर से कई सैनिक सम्मेलन किए जा चुके हैं, ताकि पूर्व सैनिकों के वोट बैंक को साधा जा सके।

पूर्व में राज्य की सियासत में कुछ पूर्व सैनिकों को मौका भी मिला। जिन्होंने खुद को साबित भी किया, लेकिन इस लोकसभा चुनाव में अग्निवीर योजना का मुद्दा गरमाया हुआ है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इसे लेकर हमलावर है। वहीं, भाजपा इस पर सफाई देते हुए योजना को बेहतर बता रही है। हालांकि, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि अगर हमें इसमें कोई कमियां दिखती हैं तो हम उन्हें सुधारने के लिए तैयार है।

इसके अलावा पूर्व सैनिकों के वन रैंक वन पेंशन समेत कुछ अन्य मुद्दे भी हैं। प्रदेश में एक लाख 39 हजार से अधिक पूर्व सैनिक हैं। इसके अलावा अन्य सशस्त्र बलों के पूर्व जवानों की संख्या भी अच्छी खासी है। हर राजनीतिक दल की इन पर नजर है। यही वजह है कि चुनाव में पूर्व सैनिकों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया जा रहा है।

स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित नहीं किया जाना चाहिए

पूर्व सैनिकों का कहना है कि सैनिक अस्पताल में सैनिकों के माता-पिता यदि 9,000 से अधिक आय प्राप्त कर रहे हैं, तो उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। सैनिक कल्याण विभाग के विश्रामगृह में अभी भी सैनिकों के लिए डॉरमेट्री में रहने की व्यवस्था है। डॉरमेट्री की व्यवस्था समाप्त कर उनके कमरे अटैच बाथरूम की व्यवस्था की जानी चाहिए।

जिस तरह अधिकारियों और उनके बच्चों के लिए डीएसओआई में वेलफेयर की व्यवस्था है, उसी तरह अधिकारी से नीचे के सैनिकों और उनके बच्चों के लिए कुछ न कुछ वेलफेयर की व्यवस्था की जानी चाहिए। वन रैंक वन पेंशन के मामले का भी पूरी तरह से निपटारा नहीं हुआ। जिसे ठीक किया जाना चाहिए।

ये है अग्निवीर योजना

अग्निवीर योजना के तहत 17 वर्ष से 21 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं को चार साल की अवधि के लिए भर्ती करने का प्रावधान है। भर्ती किए गए जवानों में से कुछ जवानों को 15 वर्षों के लिए सेवा में रखा जाएगा।

इन जिलों में हैं इतने पूर्व सैनिक

अल्मोड़ा में 9,577, बागेश्वर में 7,837, चमोली में 11,059, चंपावत में 3,694, देहरादून में 29,444, हरिद्वार में 5,458, लैंसडौन में 15,080, पौड़ी में 6,756, नैनीताल में 13,569, पिथौरागढ़ में 18,149, रुद्रप्रयाग में 3,593, टिहरी में 5,143, ऊधमसिंहनगर 8,847 और उत्तरकाशी में 1157 पूर्व सैनिक हैं।

वीर नारियां एवं सैनिक विधवाएं

प्रदेश के अल्मोड़ा जिले में 4,835, बागेश्वर में 3,788, चमोली में 4,876, चंपावत में 1,364, देहरादून में 5,475, हरिद्वार में 1,040, लैंसडौन में 5,598, पौड़ी में 3,250, नैनीताल में 3,885, पिथौरागढ़ में 8,571, रुद्रप्रयाग में 1,740, टिहरी में 2,109, ऊधमसिंहनगर में 2,725 एवं उत्तरकाशी में 279 वीर नारी एवं विधवाएं हैं।

अग्निवीर एक अच्छी योजना है। इससे सेना का पेंशन बजट कम होगा। -मेजर जनरल सीबी गुप्ता (सेनि)

सेना में भर्ती होने के चार साल बाद 75 प्रतिशत जवानों को बेरोजगार नहीं किया जाना चाहिए। यह सेना के प्रशिक्षित जवान हैं, इन्हें अर्द्धसैनिक बलों या अन्य फोर्स में समायोजित किया जाना चाहिए। -सूबेदार मेजर राजेंद्र प्रसाद (सेनि)

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