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कोर्ट ने कहा- नगर निगम की जिम्मेदारी है बंदर पकड़ना

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि राजधानी में बंदरों को पकड़ने की जिम्मेदारी और उन्हें नई जगह भेजने की जिम्मेदारी दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC) की है। कोर्ट ने सिविक एजेंसी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें इस तरह के आदेश को बदलने का आवेदन किया गया था। एसडीएमसी ने 2007 में आए एक आदेश को बदलने के लिए कोर्ट का रुख किया था जिसमें कहा गया था कि शहर में बंदरों को पकड़ने और उन्हें रिज एरिया में भेजने की जिम्मेदीरी एसडीएमसी की है।

चीफ जस्टिस डी एन पटेल और जस्टिस सी हरि शंकर की बेंच ने इस याचिका को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर एक बार कोर्ट ने इस मामले में फैसला कर दिया और 2007 में इसे खत्म कर दिया तो इस आदेश से असंतुष्ट किसी भी व्यक्ति को अपील या रिव्यू फाइल करना चाहिए ना कि फैसले में बदलाव के लिए आवेदन करना चाहिए। कोर्ट ने कहा, ‘हम आदेश के जानबूझकर गैर-अनुपालन, असमर्थता और अक्षमता जैसे आपके किसी भा कारण को सुनने नहीं जा रहे।’

बता दें कि 2007 में एडवोकेट मीरा भाटिया ने एक जनहित याचिका दायर की थी जिसके तहत हाई कोर्ट ने फैसला दिया था कि राजधानी के शहरी इलाकों से बंदरों को रिज एरिया में शिफ्ट करने का काम एसडीएमसी का है। इसके बाद 2012 में भाटिया ने एक पुनर्विचार याचिका डाली जिसमें कॉर्पोरेशन और दिल्ली सरकार जैसी अथॉरिटीज पर आरोप लगाया कि अभी तक यह सुनिश्चित नहीं किया गया है कि राजधानी बंदरों से मुक्त हो, जबकि इन्हें भाटी माइन्स एरिया में भेजने की एक योजना तैयार की गई थी।

पुनर्विचार याचिका में हाई कोर्ट ने बंदरों को पकड़ने, उन्हें कीटाणुमुक्त बनाने और शहर से जंगल में भेजने जैसे कई मुद्दों पर दिशा-निर्देश जारी किए। पिछले साल दिसंबर में एसडीएमसी ने स्टैंडिंग काउंसिल गौरंग कांठ के जरिए 2007 में आए फैसले में बदलाव के लिए एक ऐप्लिकेशन डाली जिसमें कहा गया कि कॉर्पोरेशन के पास ‘एक्सपर्ट्स की कमी’ है और बंदर पकड़ने के लिए कम उपकरण हैं।

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